छाप तिलक सब छीनी
छाप तिलक सब छीनी .. वह कहानियाँ… जो स्त्री-मन की अंधेरी गलियों से हो कर गुजरीं, जीवन की आपाधापी में गुम होते-होते रह गईं और मानवीय प्रेम और करूणा के उजालों की तलाश में सतत विचरती रहीं। मानव-मन अपने अनगढ़ स्वरुप में कितना लुभावना हो सकता है, कितना करुणामय…. इस […]
इंद्रप्रिया
ऐतिहासिक उपन्यास इंद्रप्रिया, अपने समय की सर्वाधिक सुन्दर स्त्री, एकनिष्ठा नर्तकी, कुशल कवियत्री, समर्पित प्रेयसी, ओरछा की राय प्रवीना की केवल कथा भर नहीं है, अपितु यह दस्तावेज है, उस वीरांगना का जिसने कामुक शहंशाह अकबर के मुग़ल दरबार में अपनी विद्वता से न केवल अपनी अस्मिता की रक्षा की […]
द वॉचमैन-मर्डर इन रूम नंबर 108
द वॉचमैन-मर्डर इन रूम नंबर 108 सुधीर सिंघल निहायत घटिया, बदनीयत! सूरत से कामदेव सरीखा ऐसा नौजवान था, जो पैसों की खातिर किसी भी हद तक जा सकता था। अधेड़ उम्र की औरतों को अपने प्रेमजाल में फाँस सकता था, नौजवान लड़कियों की कमाई पर ऐश कर सकता था। वह […]
राइट टाइम टू किल
राइट टाइम टू किल अभिनेत्री सोनाली सिंह राजपूत ने पाँच सालों बाद दिल्ली में कदम क्या रखा, जैसे हंगामा बरपा हो गया। बंगले में घुसते ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस और मीडिया दोनों को शक था कि सोनाली का कत्ल उसके चाचा उदय सिंह राजपूत ने […]
यक्ष इन पुस्तक मेला
दिल्ली का पुस्तक मेला समाप्त हो चुका था। धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ के भी सम्राट थे ।अचानक यक्ष प्रकट हुए। उन्होंने सोचा कि चलकर देखा जाये कि धर्मराज अभी भी वैसे हैं या बदल गए जैसे कि मेरे सरोवर का जल पीने के समय थे। युधिष्ठिर से मिले, […]


मिरोव चैप्टर 1
अबूझ को बूझने की प्रक्रिया में, संगठित होते समाजों की बैक बोन, धर्म के रूप में स्थापित हुई थी, उन्होंने कुदरती घटनाओं के पीछे ईश्वर के अस्तित्व की अवधारणा दी, शरीर को चलायमान रखने वाले कारक के रूप में आत्मा का कांसेप्ट खड़ा किया और इसे लेकर तरह-तरह के लुभावने-डरावने […]


कैलेंडर पर लटकी तारीखें से 3 लघुकथाएँ
1. अभिनिषेध “तू यहाँ कैसे आई?” कमरे में नयी लड़की को देखकर शब्बो ने पूछा। लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया। “अरी बता भी दे…रहना तो हमारे साथ ही है…।” “क्यों रहना है तुम्हारे साथ? मैं नहीं रहूँगी यहाँ।” आँखें तरेर कर लड़की तमक कर बोली। “हु..हु…हु..।यहाँ नहीं रहेगी तो […]

चोला माटी के राम (पुस्तक अंश)
एक दिन मासा गाँव आया था। उसने सारे गाँव वालों को बुलाया। आज गाँव में जनताना अदालत थी। आसपास के गाँव जैसे जुड़गुम, वरदली, उल्लूर इत्यादि से भी लोग आए थे। कुछ अपनी मर्ज़ी से आये थे और कुछ मासा के खौफ से। पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बैनर […]

भोर उसके हिस्से की
जब भी वह उसके पास दिल्ली आती तो पूरा घर व्यवस्थित करने में उसे कुछ दिन लग जाते। पिछले कुछ समय से उसे घर में कुछ ऐसी वस्तुएँ भी मिल जाती थीं, जिससे उसका दिल तेज धड़क जाता था। कभी-कभी उसने टोका तो राजीव ने उसको घुड़क दिया। उसके दोस्त, […]

सुंदरबन में सात साल
‘सुंदरबन में सात साल’ मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया उपन्यास है जिसके लेखक हैं श्री बिभूतिभूषण बन्धोपाध्याय जी और श्री भुवनमोहन राय जी और जिसका हिंदी अनुवाद श्री जयदीप शेखर जी ने किया है।उपन्यास की भूमिका के अनुसार श्री भुवनमोहन राय जी ने अपनी बाल-पत्रिका ‘सखा ओ […]

सॉरी (लघुकथा)
कमरे में मद्धम आवाज़ में संगीत बज रहा था। उसे ग़ज़ल सुनना पसंद था। शफल मोड पर वो जगजीत सिंह, गुलाम अली, अनूप जलोटा, आबीदा परवीन इत्यादि को सुना करता था। उसे इसमें सुकून मिलता था। इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में जहाँ गानों को भी खत्म होने की जल्दी रहती […]
चंद्रगुप्त (नाटक): जयशंकर प्रसाद
चन्द्रगुप्त : पात्र-परिचय पुरुष-पात्र चाणक्य (विष्णुगुप्त) : मौर्य साम्राज्य का निर्माता चन्द्रगुप्त : मौर्य सम्राट् नन्द : मगध-सम्राट् राक्षस : मगध का अमात्य वररुचि (कात्यायन) : मगध का मन्त्री आम्भीक : तक्षशिला का राजकुमार सिंहरण : मालव गण-मुख्य का कुमार पर्वतेश्वर : पंजाब का राजा (पोरस) सिकन्दर : ग्रीक-विजेता फिलिप्स […]

द मोनू ट्रायल
हमारे देश में लीगल ट्रायल, मीडिया जैसे शब्द अक्सर ट्रायल में सुनाई पड़ते हैं। इधर एक नया शब्द सुनायी पड़ रहा है द मोनू ट्रायल। ये एक नए किस्म का ट्रायल है, जो गिद्ध पत्रकारिता से उपजा है।ये ट्रायल उसी तरह होता है, जैसे राखी सावंत से भारत की लुक […]

अच्छा आदमी
जीवन ने घड़ी देखी,दो बजकर बीस मिनट हो रहे थे। पौने तीन तक डायरेक्ट लखनऊ वाली बस छूट जानी थी । उसके बाद कई बसें बदलकर ही वो लखनऊ पहुँच सकता था। वक्त के बारे में सोच कर झुंझला उठा ।उसने ऑटो वाले को घुड़का – “मेरी बस छुड़वा दोगे […]