अपनी पूरी ज़िंदगी … निस्वार्थ किसी के लिए गुज़ार देती है। बिना अपनी फिक्र किए ममता का चादर हमें ओढ़ा देती है। बिना जताए कोई एहसान, देती है हमें एक नया मुक़ाम माँ की इस ममता को मेरा सलाम। त्याग का प्याला पीकर संस्कारों की लहरों से सींचती है दिल […]
फिर क्या होगा उसके बाद? उत्सुक होकर शिशु ने पूछा, “माँ, क्या होगा उसके बाद?” रवि से उज्जवल, शशि से सुंदर, नव-किसलय दल से कोमलतर। वधू तुम्हारी घर आएगी उस विवाह-उत्सव के बाद।’ पलभर मुख पर स्मित-रेखा, खेल गई, फिर माँ ने देखा । उत्सुक हो कह उठा, किन्तु वह […]
हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाऍंगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबोरी कनक-कटोरी की मैदा से, स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरू की फुनगी […]
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी […]
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे मै भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली किसी तरह नीची हो जाती यह कदम्ब की डाली तुम्हे नहीं कुछ कहता, पर मै चुपके चुपके आता उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर […]
एक दिन सूट पहनकर बढ़ियाभोलू बंदरलाल,शोर मचाते धूमधाम सेपहुँच गए ससुराल।गाना गाया खूब मजे सेऔर उड़ाए भल्ले,लार टपक ही पड़ी, प्लेट मेंदेखे जब रसगुल्ले।खूब दनादन खाना खायानही रहा कुछ होश,आखिर थोड़ी देर बाद हीगिरे, हुए बेहोश।फौरन डॉक्टर बुलवायाबस, तभी होश में आए,नहीं कभी इतना खाऊँगा-कहकर वे शरमाए!
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाठ से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे। बात-बात में बात ठन गयी,बांह उठीं और मूछें तन गयीं।इसने उसकी गर्दन भींची,उसने इसकी दाढी खींची।अब वह जीता, अब यह जीता;दोनों का बढ चला फ़जीता;लोग तमाशाई जो ठहरे सबके खिले […]