‘सुंदरबन में सात साल’ मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया उपन्यास है जिसके लेखक हैं श्री बिभूतिभूषण बन्धोपाध्याय जी और श्री भुवनमोहन राय जी और जिसका हिंदी अनुवाद श्री जयदीप शेखर जी ने किया है।उपन्यास की भूमिका के अनुसार श्री भुवनमोहन राय जी ने अपनी बाल-पत्रिका ‘सखा ओ साथी’ में १८९५ में ‘ […]
अपनी पूरी ज़िंदगी … निस्वार्थ किसी के लिए गुज़ार देती है। बिना अपनी फिक्र किए ममता का चादर हमें ओढ़ा देती है। बिना जताए कोई एहसान, देती है हमें एक नया मुक़ाम माँ की इस ममता को मेरा सलाम। त्याग का प्याला पीकर संस्कारों की लहरों से सींचती है दिल की नगरी में बसाकर अपना […]
दीपों का शहर बनारस, भगवान शिव की नगरी बनारस, आस्था का शहर बनारस, ज्ञान की नगरी बनारस … न जाने कितने नामों और विशेषताओं से नवाजा जाता है इस शहर को। संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है यह शहर जहाँ धर्म, आस्था और ज्ञान की त्रिवेणी बहती है। यह एक ऐसा शहर […]
राजा भोज ने जब खुदाई में प्राप्त राजा विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने का प्रयत्न किया तो सिंहासन की पहली पुतली रत्नमंजरी ने उन्हें रोकते हुए कहा- “हे राजन! राजा विक्रम के इस सिंहासन पर वही बैठ सकता है, जो उनकी तरह प्रतापी, दानवीर और न्यायप्रिय हो। मैं आपको राजा विक्रम की कथा सुनाती हूँ। […]
बहुत समय पहले राजा भोज उज्जैन नगर पर राज्य करते थे। राजा भोज एक धार्मिक प्रवृति के न्यायप्रिय राजा थे। समस्त प्रजा उनके राज्य में सुखी एवं सम्पन्न थी। सम्पूर्ण भारतवर्ष में उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई थी। राजा भोज के शासनकाल में प्रत्येक व्यक्ति संपन्न एवं सुखी था। कृषि भी खूब होती थी। […]
अरसा काफी लंबा गुजर चुका था. सिंदबाद के मन में यह लहर बार-बार दौड़ रही थी कि वह अपनी तिजारत को हिन्दुस्तान तक फैला दे. उसने एक दिन तय कर ही लिया कि वह हिन्दुस्तान जाएगा. उसने अपनी गठरियों में तिजारती सामान बाँध लिया. वह बसरा के लिए रवाना होने ही वाला था कि उसके […]
मिथिला के लोक में गोनू झा वैसे ही प्रसिद्ध हैं, जैसे अकबर के दरबार में बीरबल और कृष्णदेव राय के दरबार में तेनालीराम . गोनू झा की हाजिरजवाबी और तीक्ष्ण बुद्धि बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल सहज ही निकाल लेती है. बिहार की लोककथाओं से पढ़िए गोनू झा की चतुराई का यह किस्सा. गोनू […]
शेखचिल्ली एक दिन अपने घर के सामने अहाते में बैठे भुने हुए चने खा रहे थे और साथ ही जल्दी-से-जल्दी अमीर बनने के सपने देख रहे थे. खुली आँखों से सपने देखते हुए कुछ चने खा रहे थे और कुछ नीचे गिरा रहे थे. संयोग से जमीन पर गिरे चने के दानों में एक दाना […]
शेखचिल्ली अपने घर के बरामदे में बैठे-बैठे खुली आँखों से सपने देख रहे थे. उनके सपनों में एक विशालकाय पतंग उड़ी जा रही और शेखचिल्ली उसके ऊपर सवार थे. कितना आनंद आ रहा था आसमान में उड़ते हुए नीचे देखने में. हर चीज़ छोटी नज़र आ रही थी. तभी अम्मी की तेज़ आवाज ने उन्हें […]