हरप्रकाश गिरफ्तार करके मुरार लाये गये हैं। हीरासिंह की आलीशान इमारत के सामने मैदान में फौजदार साहब के खेमे के चारों ओर दो बरकन्दाज बन्दूक पर संगीन चढ़ाये पहरा दे रहे हैं। अफवाह उड़ रही है कि कल हरप्रकाशलाल फाँसी पर चढ़ाये जायेंगे। उन्होंने हीरासिंह के नौकर को मार डाला है, हीरासिंह की नाव लूट […]
सबेरा हुआ किन्तु आकाश में बादल छाये ही रहे। हीरासिंह के मकान में औरतें रो रही हैं! हीरासिंह के एक ही बेटा था। वह बलवान, रूपवान, बुद्धिमान, सुशील और शांत स्वभाव का था। हठात् वह बीमार पड़ गया। बीमारी बढती गई। रात के तीसरे पहर में वह मर गया। नवमी की रात को जबरदस्त जमींदार […]
एक बड़े भारी बरगद की छाया में फौजदारी इजलास बैठा है। धनुषाकार पड़ी हुई पाँच कुर्सियों पर कोतवाल साहब, फौजदार साहब, हीरासिंह, हरप्रकाशलाल और बलदेवलाल बैठे हैं, कुछ दूर अलग एक तख्त पर लम्बी दाढ़ीवाला फतेहउल्ला बैठा है। एक तरफ जमादार, चौकीदार आदि दारोगा और दलीपसिंह, जगन्नाथ सिंह और कई चपरासी खड़े हैं। कोतवाल ने […]
कोई दोपहर को मुंशीजी और उनके ससुर आरा में फौजदार के मकान के पास पहुँचे। सदर दरवाजे पर एक बरकन्दाज बंदूक में संगीन लगाये पैंतरा चला रहा था। और एक कहार बर्तन मलता था। मुंशीजी ने पूछा-“फौजदार साहब कहाँ हैं?” बरकन्दाज – “दो मंजिले पर हैं। आप ऊपर चले जाइये|” ससुर-दामाद सीढ़ियों पर चढ़कर बालाखाना […]
मुंशीजी-“जब पहरेदार ने आपको मना किया तब आप बाहर क्यों निकले? ख्वाहमख्वाह यह बेइज्जती सहने की क्या जरूरत थी?” बलदेवलाल – “अरे बबुआ, जब कैद हो गया तब बेइज्जती में बाकी क्या रहा? अब मेरा मर जाना ही बेहतर है।” मुंशी – “आप चतुर आदमी होकर इतना क्यों घबराते हैं? देखिये तो फौजदार साहब किस […]
“तुम मेरी तरफ घूर-घूरकर क्यों ताकते हो?” कहकर गूजरी ने दूसरी ओर मुँह फेर लिया। फौजदार ने बिना कुछ सहमे कहा-“मैं एक बात सोचता था। लतीफन के इजहार में उसको बचाने वाली जिस काली, बिखरे बाल वाली हँसमुख औरत का जिक्र है और सामने जो मूर्ती देख रहा हूँ उससे मुझे विशवास होता है कि […]
तड़के उठकर प्रातः क्रिया करने के बाद बूढ़े कोतवाल साहब फौजदार के डेरे पर आये। वहाँ एक चपरासी से पूछा- “फौजदार साहब कहाँ हैं?” चपरासी ने उत्तर दिया-“वे अभी सोकर नहीं उठे हैं।” कोतवाल-“रात को कै बजे आये थे?” चपरासी- “कोई तीन बजे।” इतने में फौजदार साहब वहाँ आ गये और कोतवाल के साथ चौकी […]
“10 रुपये में भर पेट भोजन” दरोगा नाम के उस 26 वर्षीय व्यक्ति ने मोती विहार स्थित एक एन. जी. ओ. द्वारा चलाये जा रहे गरीबों के लिए कम दामों पर भोजन के प्रबंध जैसे सामाजिक कार्य को चिन्हित करता बोर्ड देखा। उसने, अपनी मैली-कुचेली जीन्स के पिछले जेब में हाथ डाला तो चिल्लर के […]
नीले रंग की एकॉर्ड डी एन डी से उतर कर अब ग्रेटर नोएडा की ओर बढ़ रही थी। स्पीड सामान्य थी, जैसे कि ड्राइवर को रात के उस घड़ी कहीं भी जाने की जल्दी नहीं थी, जबकि यह सामान्य से अलग बात होती है। अपनी औसतन रफ्तार को, रोड स्पीड लिमिट के अंदर समेटे हुए […]