खूनी औरत का सात खून – छठवाँ परिच्छेद
सज्जनता “किमत्र-चित्रं यत्सन्तः परानुग्रहतत्पराः। न हि स्वदेहशैत्याय जायन्ते चन्दनद्रुमाः॥” (कालिदासः) पर, उस बात पर मैं अधिक ध्यान न देने पाई, क्योंकि भाईजी ने अबकी बार जरा बिगड़कर यों कहा, —“बस, बहुत हुआ, एक लड़की को अपने बड़ों के आगे इतना हठ और इतनी ढिठाई कभी न करनी चाहिए, इसलिए […]