साहित्य विमर्श
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द वॉचमैन-मर्डर इन रूम नंबर 108
द वॉचमैन-मर्डर इन रूम नंबर 108 सुधीर सिंघल निहायत घटिया, बदनीयत! सूरत से कामदेव सरीखा ऐसा नौजवान था, जो पैसों की खातिर किसी भी हद तक जा सकता था। अधेड़ उम्र की औरतों को अपने प्रेमजाल में फाँस सकता था, नौजवान लड़कियों की कमाई पर ऐश कर सकता था। वह […]
छाप तिलक सब छीनी
छाप तिलक सब छीनी .. वह कहानियाँ… जो स्त्री-मन की अंधेरी गलियों से हो कर गुजरीं, जीवन की आपाधापी में गुम होते-होते रह गईं और मानवीय प्रेम और करूणा के उजालों की तलाश में सतत विचरती रहीं। मानव-मन अपने अनगढ़ स्वरुप में कितना लुभावना हो सकता है, कितना करुणामय…. इस […]
यक्ष इन पुस्तक मेला
दिल्ली का पुस्तक मेला समाप्त हो चुका था। धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ के भी सम्राट थे ।अचानक यक्ष प्रकट हुए। उन्होंने सोचा कि चलकर देखा जाये कि धर्मराज अभी भी वैसे हैं या बदल गए जैसे कि मेरे सरोवर का जल पीने के समय थे। युधिष्ठिर से मिले, […]