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1 Comment

  1. विकास नैनवाल
    May 21, 2022 @ 6:35 am

    रोचक अंश है। पुस्तक को पढ़ने की इच्छा जागृत हुई। मैंने हेमा जी का दूसरा उपन्यास संभल ए दिल तो पढ़ा था लेकिन इसे नहीं पढ़ा था। अब पढ़ने की इच्छा जागृत हो गई है।

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