चंद्रकांता संतति के पिछले भाग बयान 5 रात आधी से कुछ ज्यादा जा चुकी है। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है, कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज के सिवाय और किसी तरह की आवाज सुनाई नहीं देती। ऐसे समय में काशी की तंग गलियों में दो आदमी, जिनमें एक औरत और दूसरा मर्द है, घूमते […]
रात दो घंटे से कुछ ज्यादे जा चुकी है। लालसिंह अपने कमरे में अकेला बैठा कुछ सोच रहा है। सामने एक मोमी शमादान जल रहा है तथा कलम-दवात और कागज भी रखा हुआ है। कभी-कभी जब कुछ खयाल आ जाता है, तो उस कागज पर दो-तीन पंक्तियाँ लिख देता है और फिर कलम रखकर कुछ […]
काजर की कोठरी-खंड 3 के लिए यहाँ क्लिक करें काजर की कोठरी: खंड सूची यहाँ देखें दिन आधे घंटे से ज्यादे बाकी है। आसमान पर कहीं-कहीं बादल के गहरे टुकड़े दिखाई दे रहे हैं और साथ ही इसके बरसाती हवा भी इस बात की खबर दे रही है कि यही टुकड़े थोड़ी देर में इकट्ठे […]
पिछले भाग के लिए क्लिक करें पहला बयान वे दोनों साधु, जो सन्दूक के अन्दर झांक न मालूम क्या देखकर बेहोश हो गए थे, थोड़ी देर बाद होश में आए और चीख-चीखकर रोने लगे। एक ने कहा, “हाय-हाय इन्द्रजीतसिंह, तुम्हें क्या हो गया! तुमने तो किसी के साथ बुराई न की थी, फिर किस कम्बख्त […]
बयान 11 इस जगह मुख्तसर ही में यह भी लिख देना मुनासिब मालूम होता है कि रोहतासगढ़ तहखाने में से राजा वीरेन्द्रसिंह, कुंअर आनन्दसिंह और उनके ऐयार लोग क्योंकर छूटे और कहां गए। हम ऊपर लिख आए हैं कि जिस समय गौहर ‘जोगिया’ का संकेत देकर रोहतासगढ़ किले में दाखिल हुई उसके थोड़ी ही देर […]
चंद्रकांता संतति भाग 5 बयान 1 से 5 के लिए यहाँ क्लिक करें बयान 6 आज बहुत दिनों के बाद हम कमला को आधी रात के समय रोहतासगढ़ पहाड़ी के ऊपर पूरब तरफ वाले जंगल में घूमते देख रहे हैं। यहां से किले की दीवार बहुत दूर और ऊंचे पर है। कमला न मालूम […]
खंड-1 के लिए यहाँ क्लिक करें यों तो कल्याणसिंह के बहुत-से मेली-मुलाकाती थे मगर सूरजसिंह नामी एक जिमींदार उनका सच्चा और दिली दोस्त था, जिसकी यहाँ के राजा धर्मसिंह के वहाँ भी बड़ी इज्जत और कदर थी। सूरजसिंह का एक नौजवान लड़का भी था, जिसका नाम रामसिंह था और जिसे राजा धर्मसिंह ने बारह मौजों […]
प्रथम खंड संध्या होने में अभी दो घंटे की देर है मगर सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हो रहे , क्योंकि काली-काली घटाओं ने आसमान को चारों तरफ से घेर लिया है। जिधर निगाह दौड़ाइए मजेदार समा नजर आता है और इसका तो विश्वास भी नहीं होता कि संध्या होने में अभी कुछ कसर है। […]