चंद्रकांता संतति भाग 8 बयान 3
मायारानी उस बेचारे मुसीबत के मारे कैदी को रंज, डर और तरद्दुद की निगाहों से देख रही थी जबकि यह आवाज उसने सुनी, “बेशक मायारानी की मौत आ गई!” इस आवाज ने मायारानी को हद्द से ज्यादा बेचैन कर दिया। वह घबड़ाकर चारों तरफ देखने लगी मगर कुछ मालूम न […]
बाघ से भिड़ंत-श्रीराम शर्मा
सायंकाल के चार बजे थे। मैं स्कूल से लौटकर घर में गरम-गरम चाय पी रहा था। किसी ने बाहर से पुकारा: “मास्टर साहब, मास्टर साहब, जरा बाहर आइए। एक आदमी आया है। बाघ की खबर लाया है।” बाघ का नाम सुनकर मैं उछल पड़ा। चाय का प्याला वहीं रखकर झट […]
चंद्रकांता संतति भाग 8 बयान 2
कैदखाने का हाल हम ऊपर लिख चुके हैं, पुनः लिखने की कोई आवश्यकता नहीं। उस कैदखाने में कई कोठरियां थीं जिनमें से आठ कोठरियों में तो हमारे बहादुर लोग कैद थे और बाकी कोठरियां खाली थीं। कोई आश्चर्य नहीं, यदि हमारे पाठक महाशय उन बहादुरों के नाम भूल गये हों […]
तुमने क्यों कहा था, मैं सुन्दर हूँ
लौटते समय डॉक्टर साहब माया के जेठ, उनके पड़ोसी निगम और निगम की माँ ‘चाची’ सबसे अपील कर जाते — “आप लोग इन्हें समझाइये… कुछ खिलाइये, पिलाइये और हंसाइये।” निगम साधारणतः स्वस्थ, परिश्रमी और महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति है। वह चित्रकार है। पिछले वर्ष दिसम्बर में वह अमरीका में होने वाली एक […]
ध्रुव-यात्रा
राजा रिपुदमनबहादुर उत्तरी ध्रुव को जीत कर योरुप के नगर-नगर से बधाइयाँ लेते हुए हिन्दुस्तान आ रहे हैं। यह ख़बर अख़बारों ने पहले सफ़े पर मोटे अक्षरों में छापी। उर्मिला ने ख़बर पढ़ी और पास पालने में सोते शिशु का चुम्बन लिया। अगले दिन पत्रों ने बताया कि योरुप के […]
चंद्रकांता संतति भाग 8 बयान 1
मायारानी की कमर में से ताली लेकर जब लाडिली चली गई तो उसके घंटे भर बाद मायारानी होश में आकर उठ बैठी। उसके बदन में कुछ-कुछ दर्द हो रहा था जिसका सबब वह समझ नहीं सकती थी। उसे फिर उन्हीं खयालों ने आकर घेर लिया जिनकी बदौलत दो घण्टे पहले […]
अंशुमालिका
“पापा ने कहा है कि अगर मैं उनकी पसंद के लड़के से शादी नहीं करूंगी तो वे अपनी जान दे देंगे। मैं अपने पापा के मौत की वज़ह नहीं बनना चाहती। मुझे माफ़ कर देना विक्रम। मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगी और तुम्हारे सिवा किसी और को कभी प्यार […]
खूनी औरत का सात खून – सोलहवाँ परिच्छेद
बन्दिनी! “प्रतिकूलतामुपगते हि विधौ, विफलत्वमेति बहु साधनता। अवलम्बनाय दिनभर्तुरभून्न पतिष्यतः करसहस्रमपि ।।” (माघ:) मुझे चैतन्य जानकर रामदयाल ने कहा,–“ ओ कैदी औरत! अब उठ और कोठरी का दरवाजा खोल। देख तो सही, कि कितना दिन चढ़ आया है! कानपुर से कोतवाल साहब और पुलिस के बड़े […]
सर्वाइवल इंस्टिक्ट
बात सर्वाइवल की चल रही है पीटर स्काइलबर्ग उमेआ, स्वीडन के गहरे जंगलों में एसयूवी गाड़ी लेकर घूम रहे थे। वहाँ बेतहाशा बर्फ़ बिखरी हुई थी। उनकी गाड़ी फंस गयी। ऐसी फंसी की गाड़ी के चारों तरफ बर्फ़ ही बर्फ़ हो गयी। जो लोग स्वीडन के बारे में नहीं जानते […]
समाप्ति की कगार पर है जनजातियों का सरना धर्म
मानवीय समाज में ऐसा कहीं नहीं मिला है जिसमें धर्म का अस्तित्व किसी न किसी रूप में न रहा हो या कोई भी मानव समाज धर्म से अलग रहा हो। धर्म सर्वत्र पाया जाता है। परंतु जनजातीय समाज में धर्म उतने ही सरल अथवा कहीं-कहीं […]
हैप्पी हिंदी डे
” हे यू कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट 8 पीएम ,इंडीड देअर विल भी 8 पीएम,वेन्यू,,ब्लैक डॉग हैंग आउट कैफे, ब्लैक डॉग ,,,योर फेवरेट ब्रो “ मोबाईल पर ये […]
काला कुदरा-हंस कुमार तिवारी
गाँव के बाहर एक बूढ़ा पीपल का पेड़ खड़ा था। कितनी उम्र थी उसकी, ठीक-ठीक कोई नहीं बता सकता। बड़े-बूढ़े कहा करते थे, वह पेड़ गाँव के बसने के समय भी इतना ही बड़ा, ऐसा ही घना और ऐसा ही था, जैसा आज है। उसी पेड़ से उस गाँव का […]
खूनी औरत का सात खून – पंद्रहवाँ परिच्छेद
खून की रात ! “समागते भये धीरो धैर्येणैवात्मना नरः। आत्मानं सततं रक्षेदुपायैर्बुद्धिकल्पितैः॥” (व्यासः) वे सब तो उधर गए और इधर मैं उस कोठरी की देख-भाल करने लगी। मैंने क्या देखा कि, “उस बड़ी सी छप्परदार कोठरी में आठ खाट बराबर-बराबर बिछ रही हैं, डोरी की ‘अरगनी’ पर कपड़े-लत्ते […]
खूनी औरत का सात खून – चौदहवाँ परिच्छेद
दैवी विचित्रा गति:! “कान्तं वत्ति कपोतिकाकुलतया नाथान्तकालोऽधुना व्याधोऽधो धृतचापसजितशरः श्येनः परिभ्राम्यति ।। इत्थ सत्यहिना स दष्ट इषुणा श्येनोऽपि तेनाहत- स्तूर्ण तौ तु हिमालयं प्रति गतौ दैवी विचित्रा गतिः ।।” (नीतिरत्नावली) मेरे कान में ऐसी भनक पड़ी कि मानो मुझे कोई पुकार रहा है! ऐसा जान कर मैं उठ बैठी […]
खूनी औरत का सात खून – बारहवाँ परिच्छेद
दो सज्जन उस बदजात थानेदार के जाने पर वे दोनों चौकीदार मुझसे बातचीत करने लगे। वे दोनों बेचारे बड़े भले आदमी थे। उनमें से एक ( दियानत हुसैन ) तो मुसलमान थे और दूसरे (रामदयाल) ब्राह्मण। बातों ही बातों में उन दोनों को मैंने अपनी सारी ‘रामकहानी’ सुना दी, जिसे […]
Where are we in World Tourism?
कुल जमा दो लाख स्क्वायर मील एरिया और साढ़े चार करोड़ आबादी। स्पेन आज अकेला विश्व भ्रमण करने वाले साल के आठ करोड़ लोगों का पसंदीदा देश है। आठ करोड़। सोचिए, पूरे विश्व में अगर साल भर में 50 करोड़ लोग टूर करते हैं तो उनका सोलह प्रतिशत स्पेन खींचता […]
बॉर्डर पार का एक सीक्रेट मिशन – Para SF force missions
मैं राजीव चौक मेट्रो से निकलकर कॉरिडोर पार करके ऊपर धरती की तरफ जा ही रहा था कि तीन-चार लड़कियों के बीच एक कूल डूड बलखाता जा रहा था। हँस-हँस के, इधर-उधर डगरते हुए, पेप्सी पीते-पीते नशे की एक्टिंग करते कुछ ऐसे किस्से सुना रहा था कि लड़कियां ठठा कर […]