प्रोफेसर को वो साढ़े तीन शब्द अपने कानों में मिश्री की तरह घुलते महसूस हुए। उसने नाक पर थोड़ा नीचे ढुलक आए चश्में को ठीक किया और गर्दन उठाकर सामने देखा। एक अल्हड़ युवती, शालीनता की प्रतिमूर्ति बनी उसके सामने हाथ जोड़कर खड़ी थी।
चुभती हुई गरमियों के दिन ..। नयन के माथे का घूँघट…उसके ललाट पर विषधर के फन सरीखा फैला हुआ था। पसीने से नहायी… हाथ का पंखा झलती ,वह घूँघट की ओट से आंगन की झकमक करती भीड़ को ताक रही थी। वहां शोरगुल के घने बादलों के बीच….रंगीन साड़ियों और दमकते गहनों से सजी गुजी […]
सबसे पहले भाषा शैली पर,जिसे लेकर काफी हल्ला भी हो रहा है इस पर यह बात लेखक को पनाह देती है कि ‘लेखक अपने आपको शहर कहता है, और शहर उसी जबान में किस्सा सुनाता है, जो उसके लोगों ने उसे सिखायी है.’ पाठक इस कथा के द्वारा बोकारो शहर से भी परिचित हो सकते […]
संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन से दक्षिण की तरफ रमना और बनपुरवा जाने वाली कच्ची सड़क के रास्ते में मदरवाँ गाँव था. बनारस शहर और गाँव का संधि स्थल. गजाधर तिवारी उर्फ़ गँड़ासा गुरु इस गाँव के अनमोल रतन थे. गँड़ासा गुरु जैसा नामकरण उन्हें गाँव में ही मिला था. एक बार गाय के […]
डाक्टरी की लंबी पढ़ाई और इंटर्नशिप आदि पूरी करने और दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में दो साल की प्रैक्टिस करने के बाद सरकारी डॉक्टर के तौर पर सार्थक की पहली तैनाती आगरा की बाह तहसील के एक ग्रामसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई। उसके साथ ही उसकी सहपाठी और अब मंगेतर डॉ […]
वो मेरे सामने बेड पर पड़ी थी. उसके शरीर पे कपड़े की एक धज्जी भी न थी. मैंने उसे देखा फिर अपने मुंह पे हाथ रख कर उबकाई रोकने की भरसक कोशिश की. वहां दवाइयों की गंध से मेरा सर पहले से ही चक्कर खा रहा था और अब ये वीभत्स नजारा. उफ्फ ! […]
26 अगस्त 2018 … मैं लिफ्ट के जरिये उपर चौथी मंजिल पर पहुंचा . मैंने एक फ्लैट के दरवाजे के सामने खड़े हो कर थोड़ी देर सोचा , फिर कॉलबेल पे ऊँगली रखी . तत्काल कहीं अन्दर एक मधुर घंटी की आवाज गूंजी . मेरे दिल की धड़कने अचानक पता नहीं क्यूँ तेज हो गई […]
ये उन दिनों की बात है, जब मैंने इंटर की परीक्षा पास कर बी ए में एडमिशन लिया था. शायद 1994 के शुरूआती महीनों की. अब तक का अपना सिनेमा देखने का अनुभव बड़ों के साथ उनकी निगरानी में ही रहा था. स्कूल के कई लड़के क्लास बंक करके सिनेमा देखने में माहिर थे, लेकिन […]
हर इंसान के अंदर भगवान और शैतान, दोनों, किसी न किसी रूप में मौजूद होते हैं। जब हम कोई सत्कार्य कर रहे हों तो उसे अपने अंदर मौजूद ईश्वरीय अंश का कृत्य मानते हैं, जबकि हर दुष्कृत्य के लिए अपने अंदर मौजूद शैतानीय अंश को उत्तरदायी मानते हैं। हमारे अंदर मौजूद ये दोनो ही अंश […]