April 2, 2020 निस्तार प्रेमलता जायसवाल 0 “असतो माँ सद्गमय , तमसो माँ ज्योतिर्गमय मृत्योर माँ अमृतगमय…..!!” धुनकी अपने पोपले मुँह से कुछ भूले -बिसरे , आधे-पूरे मंत्रों और भजनों को गाये जा रही थी। आज वो बहुत खुश थी। हो भी क्यों न? आज उसके सभी अपने उससे मिलने जो आ रहे थे। बरसो से मन […] और पढ़ें