
साहित्य विमर्श
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मिरोव चैप्टर 1
अबूझ को बूझने की प्रक्रिया में, संगठित होते समाजों की बैक बोन, धर्म के रूप में स्थापित हुई थी, उन्होंने कुदरती घटनाओं के पीछे ईश्वर के अस्तित्व की अवधारणा दी, शरीर को चलायमान रखने वाले कारक के रूप में आत्मा का कांसेप्ट खड़ा किया और इसे लेकर तरह-तरह के लुभावने-डरावने […]

कैलेंडर पर लटकी तारीखें से 3 लघुकथाएँ
1. अभिनिषेध “तू यहाँ कैसे आई?” कमरे में नयी लड़की को देखकर शब्बो ने पूछा। लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया। “अरी बता भी दे…रहना तो हमारे साथ ही है…।” “क्यों रहना है तुम्हारे साथ? मैं नहीं रहूँगी यहाँ।” आँखें तरेर कर लड़की तमक कर बोली। “हु..हु…हु..।यहाँ नहीं रहेगी तो […]

चोला माटी के राम (पुस्तक अंश)
एक दिन मासा गाँव आया था। उसने सारे गाँव वालों को बुलाया। आज गाँव में जनताना अदालत थी। आसपास के गाँव जैसे जुड़गुम, वरदली, उल्लूर इत्यादि से भी लोग आए थे। कुछ अपनी मर्ज़ी से आये थे और कुछ मासा के खौफ से। पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बैनर […]

भोर उसके हिस्से की
जब भी वह उसके पास दिल्ली आती तो पूरा घर व्यवस्थित करने में उसे कुछ दिन लग जाते। पिछले कुछ समय से उसे घर में कुछ ऐसी वस्तुएँ भी मिल जाती थीं, जिससे उसका दिल तेज धड़क जाता था। कभी-कभी उसने टोका तो राजीव ने उसको घुड़क दिया। उसके दोस्त, […]