अनाथ लड़की
1 सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी तरफ देखकर पूछा—क्या नाम है? लड़की ने जवाब दिया—रोहिणी। सेठ जी ने उसे गोद में उठा लिया और बोले—तुम्हें […]
खूनी औरत का सात खून – बारहवाँ परिच्छेद
हवालात अवश्यभव्येष्वनवग्रहग्रहा, यया दिशा धावति वेधसः स्पृहा ॥ तृणेन वात्येव तयानुगम्यते, जनस्य चित्तेन भृशावशात्मना ॥ (श्रीहर्ष:) बाहर आने पर मैंने क्या देखा कि मेरी गाड़ी में मेरे ही दो बैल जुते हुए हैं! वे मुझे देखते ही मारे आनन्द के गर्दन हिलाने लगे। मैंने उन दोनों बैलों की पीठ थपथपाई […]

मेरा ओर न छोर
“उड़ते खग जिस ओर मुंह किए समझ नीड़ निज प्यारा बरसाती आंखों के बादल बनते जहां करुणा जल लहरें टकराती अनंत की, पाकर जहाँ किनारा , अरुण यह मधुमय देश हमारा” कॉर्नेलिया ने जब ये बात प्रसाद की कविता में कही थी तब से अब बहुत कुछ बदल गया ।अरुण […]
अधूरेपन के कवि मुक्तिबोध
जब कभी हिन्दी कविता की बात होगी, गजानन माधव मुक्तिबोध की चर्चा अवश्य होगी। मुक्तिबोध की कविताओं की एक विशेषता है, एक तरह का अधूरापन और औपन्यासिकता । यह कहना असंगत न होगा कि जो बीहड़ विमर्श और वैसा ही बीहड़ रचनाशिल्प उन्होंने चुने थे उसके परिणामस्वरूप यह अधूरापन अनिवार्य […]
गुमनाम हीरोज़ और हमारे अवसाद
क्रिस काइल की SEAL ट्रेनिंग कुछ ऐसी थी कि सुबह से शाम तक ठन्डे पानी में बिठा दिया जाता था। घंटो पानी के पाइप से तीखी धार मारी जाती थी। इस बीच इतनी ‘झंड’ की जाती थी कि कई ट्रेनिंग लेते साथी बीच में छोड़ के भाग जाते थे। कीचड़ […]
खूनी औरत का सात खून – ग्यारहवाँ परिच्छेद
दुःख पर दुःख एकस्य दुखस्य न यावदन्तं गच्छाम्यहं पारमिवार्णवस्य । तावद् द्वितीयं समुपस्थितं मे छिद्रेष्वनर्था बहुलीभन्ति ।। (नीति सुधाकरे) फिर वहाँ से भागने की मैंने ठहराई। सो, चटपट एक मोटी धोती और एक रूईदार सलूका पहिर कर मैंने एक ऊनी सफेद चादर ओढ़ ली और मन ही मन भगवान और […]
यूं तो खुशियाँ उभर रही थीं हसरत में
यूं तो खुशियाँ उभर रही थीं हसरत में, मगर गमों के अक्स बन गए उल्फत में। राह चाह की, आह तलक ही जाती है, अक्सर ऐसा क्यूँ होता है चाहत में। अहसासों में कब तक दर्द छुपे रहते, नज़र आ गए सभी ग़ज़ल की रंगत में। मन्नत है उनकी आँखों […]
खूनी औरत का सात खून – दसवाँ परिच्छेद
साया भ्रूचातुर्यात्कुष्चिताक्षाः कटाक्षाः स्निग्धा वाचो लज्जितांताश्च हासाः | लीलामंदं प्रस्थितं च स्थितं च स्त्रीणां एतद्भूषणं चायुधं च ‖ (भ्रतृहरि:) बस, इतने ही […]
प्रेमचन्द का पोएटिक जस्टिस
प्रेमचन्द हिंदी साहित्य के एक ऐसे वट वृक्ष हैं जिनकी छाया में साहित्य का हर पल्लव पल्लवित होता है ,उनकी रचनाओं की छाँह में एक सुख है ,एक सुकून है ।उनके पुत्र अमृतराय ने भी एक बार कहा था कि “प्रेमचन्द सिर्फ उनके नहीं,बल्कि सभी के हैं “।अब ये बात […]
तुम जो मिल गए हो…
हिंदी फिल्मों के लंबे और रोचक इतिहास में एक ऐसा समय भी आया जिसमें एक पुराने युग की शाम ढलने को हुई और एक नए युग ने अंगड़ाई ली और सब कुछ इतनी तेज़ी से हुआ कि न तो पात्र संभल पाए और न ही दर्शक और श्रोता। समय था […]
चंद्रकांता संतति भाग 7 बयान 6
मायारानी का डेरा अभी तक खास बाग (तिलिस्मी बाग) में है। रात आधी से ज्यादा जा चुकी है, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है। पहरे वालों के सिवाय सभी को निद्रादेवी ने बेहोश करके डाल रखा है, मगर उस बाग में दो औरतों की आँखों में नींद का नाम-निशान भी […]
माया महाठगिनी हम जानी
माया के तीन रूप होते हैं ,-कामिनी,कंचन ,कीर्ति ।इसी में एक माया जब दूसरी माया पर आकर्षित हो गयी तब तो गजब होना ही था।यानी एक देवी जी को कीर्ति की यशलिप्सा जाग उठी। इस कीर्ति को पाने का साधन बना एक यंत्र ।उस यंत्र को प्रणाम करके आँखे बंद […]
खूनी औरत का सात खून – आठवाँ परिच्छेद
दुर्दैव “यदपि जन्म बभूव पयोनिधौ, निवसनं जगतीपतिमस्तके । तदपि नाथ पुराकृतकर्मणा, पतति राहुमुखे खलु चन्द्रमाः ॥” (व्यासः) मैं सिर झुकाए हुए यों कहने लगी,– कानपुर जिले के एक छोटे से गाँव में मेरे माता-पिता रहते थे। उस गाँव का नाम आप जानते ही हैं, इसलिये अब मैं अपने मुँह […]
दिल बेचारा
#DilBechara #ExclusiveReview#SaharReviewsMovie#DisneyHotstar (Spoiler Alert) कितना बड़ा इत्तेफाक है न कि आख़िरी फिल्म किसी हीरो की हो और उस फिल्म में भी उसका अंजाम आख़िरी ही हो। #कहानी Kizie बासु (संजना संघी) नामक ऐसी शांत, कंफ्यूज्ड और निराश लड़की की है जिसे lung कैंसर है। 24 घंटे उसे ऑक्सीजन सिलेंडर के […]
चंद्रकांता संतति भाग 7 बयान 5
पाठकों को याद होगा कि भूतनाथ को नागर ने एक पेड़ के साथ बांध रखा है। यद्यपि भूतनाथ ने अपनी चालाकी और तिलिस्मी खंजर की मदद से नागर को बेहोश कर दिया मगर देर तक उसके चिल्लाने पर भी वहाँ कोई उसका मददगार न पहुंचा और नागर फिर से होश […]
खूनी औरत का सात खून – सातवाँ परिच्छेद
हितोपदेश माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रितयं हितम्। कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धयः॥ (हितोपदेशे) यों कहकर भाईजी फिर मुझसे बोले,–“ दुलारी, अब तुम अपना बयान मेरे आगे कह जाओ; पर इतना तुम ध्यान रखना कि इस समय जो कुछ तुम कहो, उसे खूब अच्छी तरह सोच-समझ कर कहना।” यों […]
खूनी औरत का सात खून – छठवाँ परिच्छेद
सज्जनता “किमत्र-चित्रं यत्सन्तः परानुग्रहतत्पराः। न हि स्वदेहशैत्याय जायन्ते चन्दनद्रुमाः॥” (कालिदासः) पर, उस बात पर मैं अधिक ध्यान न देने पाई, क्योंकि भाईजी ने अबकी बार जरा बिगड़कर यों कहा, —“बस, बहुत हुआ, एक लड़की को अपने बड़ों के आगे इतना हठ और इतनी ढिठाई कभी न करनी चाहिए, इसलिए […]
सरकारी दफ्तर का गणित
“भाई ये बिजली के गलत बिल कौन साहब ठीक करते हैं ?” “क्या काम है ?” “मैं एक किराए के कमरे में रहता हूँ ।कमरे में बिजली के नाम पर एक पंखा और एक बल्ब है| इन दो चीजों का बिल इस महीने ‘ दस हज़ार ‘ आया ! इसी […]
लक्ष्मी झोपड़ियों में नहीं जाती
गुड़िया बहुत छोटी थी। सिर्फ़ छह बरस की। उसकी माँ सुनीता दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा करती थी। वो अपनी माँ के साथ हो लिया करती थी। उसे टीवी देखने का बहुत शौक था। जिस घर में भी उसकी माँ काम करती, उतनी देर वो वहां बैठकर टीवी देख […]
पहला सावन, पहली बारिश
(सच्ची घटना से आंशिक प्रेरित) हर्षिता जंगले से बाहर बारिश होती देख रही थी। उसने अपना हाथ बाहर निकाला, बहुत चेष्टा करने के बावजूद भी वो होती बारिश पर ऊँगली न छुआ सकी। उसकी साथ वाली ने रुखाई से पूछा “क्या हुआ? क्या कर रही है?” हर्षिता ने कोई जवाब […]