सभी आश्चर्यचकित निगाहों से फ्रेड को घूर रहे थे, और उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। फ्रेड अपनी एकाएक बन चुकी पूछ पर आनंदित होता हुआ, पांचों की तरफ देखते हुए बोला.. ‘इन्द्रेश कसाना का कातिल हम सबके बीच में ही है। कातिल ने कहानी तो बहुत सुंदर तैयार की थी लेकिन उससे थोड़ी चूक हो गयी।’ सभी सावधान से हो गये। मैंने फ्रेड से कहा, ‘पहेलियां मत बुझाओ। जो कहना है साफ–साफ कहो।’ फ्रेड बोला-‘ कहता हूं सर। दरअसल इस कत्ल में कातिल ने कुछ ऐसा किया था कि उसपर कोई शक ही न करे। करे भी तो केवल मामूली सा। कातिल के पास मौका और उद्देश्य दोनों ही उपलब्ध थे। उसने कुछ इस तरह इस हत्या की प्लानिंग की कि सभी के सामने होते हुए भी वह किसी को दिखाई न दे। ’ फ्रेड की बातों से किसी के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे। सब सस्पेंस भरी खामोशी के […]
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“कौन है कातिल? “मैंने फ्रेड से पूछा । “सर कत्ल की सबसे पहले खबर किसको होती है?“ “जाहिर सी बात है, कातिल को” कमरे का माहौल और भी अधिक पैना हो उठा । “फ्रेड अब ज्यादा इन्तजार न करवाते हुए, कातिल से पर्दा उठा ही दो ।” “यस सर “ “सर इन्द्रेश कसाना का कत्ल तो कल रात को ही हो चुका था” “कातिल कल डिनर के बाद की मीटिंग के बाद जब सब लोग सो गए, तब कसाना साहब के पास पहुंचा, उसने उनको जगाकर कमरे का दरवाजा खुलवाया, आराम से हाथ पीछे किये हुए अंदर आया और फ़िर किसी बहाने से उनकी तवज्जो कुछ क्षण के लिए अपने पर से हटवाई और हाथ में पकड़ी साइलेंसर लगी गन सामने लाकर तुरन्त उनको शूट कर दिया और फिर वहां से चुपचाप निकल कर जाकर सो गया “ फ्रेड कुछ क्षण अपनी बातों का प्रभाव देखने के लिए रुका । “जिस तरह से कातिल देर रात […]
“आर यू श्योर, फ्रेड?” “यस सर, क्वाइट श्योर।” “लेकिन कैसे?” “बहुत सिंपल है सर, वो कहते हैं न कि झूठ के पाँव नहीं होते, तो झूठ ज्यादा देर टिक नहीं पाता है।” मैंने फ्रेड को चुप रहने का इशारा किया, और उन पाँचों को अंदर के कमरे में बैठने को कहा।जब वो पाँचों अंदर चले गए तो अब कमरे में केवल फ्रेड और मैं ही रह गए थे। तब मैनें फ्रेड से कहा, “अब बताओ कि किस आधार पर तुमने अपना निष्कर्ष निकाला है और क्या निकाला है?” ज़वाब में फ्रेड ने कहा— “सर, बहुत सीधा सादा सा केस है। जब हम यहाँ पर आये थे तो आपने देखा था कि खिड़की से सूर्य नीचे समुद्र में समाहित हो रहा था और सर, अगर आप भूगोल का सामान्य सा ज्ञान रखते होंगे तो आपको पता होगा कि केवल एक दिशा में देखने से आपको सूर्योदय और सूर्यास्त का अवलोकन नहीं हो सकता।” “हाँ फ्रेड, सही कह रहे हो […]
मैंने फ्रेड से कहा, “तुम्हें पहले से ही पता था कि कातिल कौन है?” “नहीं सर, पर इनके बयान दोबारा सुनने के बाद मुझे यकीन है कि मैं कातिल को अभी सामने ला सकता हूँ। बस मुझे इन लोगो से कुछ सवाल फिर से पूछने पड़ेंगे।“, कहते कहते फ्रेड ने एक कागज पर कुछ लिख कर एक हवलदार को दे दिया, जिसे पढ़ते ही वह कमरे से बाहर चला गया। फिर फ्रेड लिली से मुखातिब हुआ, “तुम और टोनी एक साथ इस कमरे में आए थे?” “जी साहब, हम दोनों लगभग एक साथ पहुँचे थे।“, लिली के कहते ही टोनी भी अपना सर सहमति में हिलाने लगा। “क्या ये दोनों लोग भी तुम्हारे साथ कमरे में पहुँचे थे?” फ्रेड ने जेसन और रईस खान की और इशारा करते हुए कहा। उत्तर टोनी ने दिया, “सर, ये दोनों साहब ठीक हमारे पीछे पीछे ही कमरे के अंदर आए थे।“ फ्रेड अब रागिनी की और मुड़ा, “आप कहती है […]
जिन परिस्थितियों में हिंदी उपन्यास लेखन का प्रारंभ हुआ, वे परिस्थतियाँ यूरोप से भिन्न थी। यूरोप में आधुनिकता का आगमन औद्योगिक क्रांति के साथ हुआ था, जो वहां की सभ्यता और समाज की ऐतिहासिक परिणति थी। औद्योगिक क्रांति के बाद वहां “पुजारी, योद्धा और श्रमिकों के सामन्ती ढांचे में से ही एक मध्यम वर्ग का जन्म हुआ। सालों-साल तक यह वर्ग अपनी बढ़ती हुई शक्ति प्राप्त करता रहा था। सामंतवाद के विरुद्ध इसने एक लम्बे संग्राम का आरम्भ किया।” इस संग्राम के बाद आई पूंजीवादी सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति एवं व्यक्ति तथा समाज एवं व्यक्ति के सम्बन्ध सूत्र सरलता से जटिलता की ओर बढ़ने लगे। जीवन और समाज के बदले हुए स्वरुप की अभिव्यक्ति के लिए रचनाकारों ने ‘उपन्यास’ विधा की तलाश की। इस नई विधा का स्वागत यूरोप के मध्यम वर्ग ने गर्मजोशी से किया। यह मध्यम वर्ग बौद्धिक दृष्टि से जागरूक था और रचना पर अपनी सार्थक प्रतिक्रिया […]
कैसी फीलिंग आती है, जब आपने कोई ऐसा फैसला किया हो जो आपके समूचे जीवन को बदल दे, आपकी बुनियाद हिला दे। न....न...न... आप ये न सोंचे कोई बड़ा फैसला, कोई नौकरी बदलना, शादी का फैसला करना, मेरा मतलब है ऐसा निर्णय जो आपकी जड़ हिला दे। बिलकुल ऐसा ही फैसला मैंने किया है। एक ऐसा फैसला जिसके बारे में कभी किस्से-कहानियों में पढ़ा ही था। सिनेमा के परदे पर देखा ही था। उसे खुद अंजाम देना और उसके बारे में स्वयं ही सोचना, उसे पल-पल जीना। विश्वास कीजिये एक ऐसी फीलिंग आती है जिसे शब्दों में ढालना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन इसके अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है। सीधे मुद्दे पर आऊँ तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की हत्या का फैसला किया है। मुझे प्यार करने वाली, मेरी आँखों में आँखें डाल कर मेरे साथ अपना जीवन बिताने की कसमें खाने वाली, मेरे हर सुख-दुःख में साथ देने […]
सर्दी की रात जल्दी होती है। और सन्नाटा भी। अगर कोहरा पड़ने लग जाए तो समझो सोने पे सुहागा। जो की आज पड़ रहा था। मेरे लिए ये सबसे मुफीद दिन था। बाइक स्टार्ट हुई, उसने मेरी तरफ देखा और फिर से पुछा "देख ले कर लेगा न?" मना करने का तो सवाल ही नही उठता था, इसी दिन का तो मैं इंतज़ार कर रहा था।
उपरोक्त टैगलाइन एक प्रसिद्ध टेलीकम्यूनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर कंपनी द्वारा बहुत वर्षों तक इस ब्रांड को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल किया गया था । यह लाइन सच में ही अपने आप में एक प्रोत्साहन से भरी हुई है। एक आईडिया – ग्राहम बेल का – टेलीफोन के रूप में आया – जिसने दुनिया बदल कर रख दी, एक आईडिया – थॉमस एडिसन का – बल्ब के आविष्कार के रूप में आया – जिसने सच में दुनिया को बदल कर रख दिया; ऐसे कई उदाहरण हैं, जो सिर्फ और सिर्फ एक विचार – एक आईडिया के जरिये दुनिया के सामने आये। काल्पनिक कहानियों (फिक्शन स्टोरीज) की दुनिया में कहानियों का उदय भी एक ‘आईडिया’ के जरिये होता है। आगे जाकर यह ‘आईडिया’ एक कहानी का रूप लेकर पाठकों के सामने आता है। ये आइडियाज कहीं भी, कभी भी, किसी भी अवस्था में एक इंसान के दिमाग में क्लिक कर सकते हैं। […]
१४ जुलाई : उस दिन दोपहर से ही बारिश हो रही थी. उन दिनों मेरा मूड वैसे ही खराब रहता था. कोई नया काम नहीं मिल रहा था. रुपये पैसो के मामले में मैं परेशान था. मेरा जीवन भी क्या बेकार सा जीवन था. मैं लेखक था, और पूरी तरह से फ्लॉप था. करियर के प्रारम्भ में मैं खूब बिका लेकिन बाद में इन्टरनेट के युग के आने के बाद लोगों ने जैसे किताबें पढना ही छोड़ दिया और अब मुझ जैसे छोटे लेखकों को कोई नहीं पूछता था ! अच्छे वक़्त में जो कुछ पैसे कमाए थे वो भी करीब करीब ख़त्म हो रहे थे. ये घर भी एक पुराने प्रकाशक मित्र का था जिसने मेरे अच्छे समय में मेरी किताबों से खूब पैसे कमाए थे. उसी ने मुझ पर पुरानी दोस्ती के चलते ये घर देकर रखा था. कहीं से कोई आमदनी नहीं थी. ज्यादा दोस्त थे नहीं […]
वर्ष 1978 ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिलने के बाद बने क्रोनेशिया और सर्बा पडोसी मुल्कों के बीच रिश्ते हमेशा तल्ख़ रहे। दशकों तक शीत युद्ध की स्थिति में दोनों देशो का एक बार भीषण युद्ध हो चुका था। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद युद्ध समाप्त हुआ। युद्ध में कुछ टापू और समुद्री सीमा कब्ज़ाने वाले सर्बा को जीत मिली थी पर दोनों तरफ भारी नुक्सान हुआ था। युद्ध के बाद स्थिति काफी बदल गयी थी। अब क्रोनेशिया एक अच्छे-खासे रक्षा बजट के साथ आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र था।
बीस साल बाद मेरे चेहरे में वे आंखें वापस लौट आई हैं जिनसे मैंने पहली बार जंगल देखा है : हरे रंग का एक ठोस सैलाब जिसमें सभी पेड डूब गए हैं। और जहां हर चेतावनी खतरे को टालने के बाद एक हरी आंख बनकर रह गई है। बीस साल बाद मैं अपने आप से एक सवाल करता हूँ जानवर बनने के लिए कितने सब्र की जरूरत होती है? और बिना किसी उत्तर के चुपचाप आगे बढ जाता हूँ क्योंकि आजकल मौसम का मिजाज यूं है कि खून में उडने वाली पत्तियों का पीछा करना लगभग बेमानी है। दोपहर हो चुकी है हर तरफ ताले लटक रहे हैं दीवारों से चिपके गोली के छर्रों और सडकों पर बिखरे जूतों की भाषा में एक दुर्घटना लिखी गई है हवा से फडफडाते हुए हिन्दुस्तान के नक्शे पर गाय ने गोबर कर दिया है। मगर यह वक्त घबराए हुए लोगों की शर्म आंकने […]
एक बार एक वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पर पहुँच गए हैं, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए | और,एक मत से यह तय हो गया कि वन-प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना हो | पशु-समाज में इस `क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गयी कि सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया | जिस वन-प्रदेश में हमारी कहानी ने चरण धरे हैं,उसमें भेंडें बहुत थीं–निहायत नेक , ईमानदार, दयालु , निर्दोष पशु जो घास तक को फूँक-फूँक कर खाता है | भेड़ों ने सोचा कि अब हमारा भय दूर हो जाएगा | हम अपने प्रतिनिधियों से क़ानून बनवाएँगे कि कोई जीवधारीकिसी को न सताए, न मारे | सब जिएँ और जीने दें | शान्ति,स्नेह,बन्धुत्त्व और सहयोग पर समाज आधारित हो | इधर, भेड़ियों ने सोचा कि हमारा अब संकटकाल आया | भेड़ों की संख्या इतनी अधिक है कि […]
विकास खुराना ने कार की विंडस्क्रीन पर लुढ़कते मोतियों की शक्ल में एकाएक उभर आई बूंदों की तरफ देखा I देखते ही उसका मन खिन्न हो उठा I बाहर अँधेरा और घना होने लगा था और बादलों और बिजली की जुगलबन्दियों ने अपना असर भी दिखाना शुरू कर दिया था I उसने घडी के डायल की तरफ निगाह फिराई – ५.३५ I “ लग गयी आज तो……साला मेहरा का बच्चा….आज ही……” इस से पहले वो आगे कुछ बोल पाता एक जोरों की आवाज से उसका ध्यान बंट गया I उसने सामने की तरफ निगाह दौड़ाई तो देखा जहाँ से उसे टाउन हाल की तरफ जाने वाली सड़क पर मुड़ना था उसके दहाने पर एक पीपल के पेड़ की मोटी शाख बिजली गिरने की वजह से आ पड़ी थी I बाहर बारिश ने अपना रुख तब्दील कर लिया था और अब मूसलाधार बरस रही थी I वो धीमी रफ़्तार से कार […]
गोवा! मेरी वर्षों से यही तमन्ना रही थी कि मुझे भी कभी गोवा घूमने का मौका मिले। फिल्मों और तस्वीरों में देखकर एवं दोस्तों से सुनकर मन हमेशा लालायित रहता था। जब मैं दिल्ली में रहते हुए आईपीएस की तैयारी कर रहा था,तब मेरे दोस्त हर साल गोवा घूमने जाते थे। वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे,लेकिन मुझे उस वक़्त पढना था ,क्यूंकि मैं किस तरह से अपना ग्रेजुएशन कर पाया था यह मुझे बखूबी पता था। अपनी अथक मेहनत से आखिरकार, मैंने आईपीएस का एंट्रेंस और मेन दोनों ही तीसरे एटेम्पट में क्लियर कर लिया। जब पुलिस अकैडमी से ट्रेनिंग कम्पलीट करने के बाद, मेरे पास अपॉइंटमेंट और पोस्टिंग का लैटर आया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मैंने, इंदौर में अपने माता-पिता को इस बात की खबर दी, ताकि उन्हें पता चल सके कि उनके बेटे ने उनका सपना पूरा कर दिखाया था। मैं २ साल से गोवा में ए.सी.पी. […]
मैं समझा नहीं…! इंस्पेक्टर मुस्कुराया, “आपका घर बहुत बड़ा है। इसकी तलाशी लेने में बहुत वक्त लगेगा। और वैसे भी तलाशी से पेंटिंग तो बरामद हो सकती है, लेकिन इससे चोरी किसने की, इसका पता कैसे लगाएंगे। हमारे लिए पेंटिंग बरामद करने से ज्यादा अहम है चोर…” यह कहते हुए इंस्पेक्टर अभय ने सभी की ओर सख्त निगाह से देखा, “चोर, जो आपमें से ही एक है, उसकी शिनाख्त जरूरी है।“ “यह क्या बकवास है, हम चोर नहीं हैं।” अलका लांबा ने तीखे स्वर से कहा। “ठीक फरमाया, आप सब शहर के संभ्रांत शहरी हैं ! बड़े बड़े बंगलों में रहने वाले! इज्जतदार! वो क्या कहते हैं व्हाइट कॉलर! आप चोर कैसे हो सकते हैं। इसका ठीकरा तो किसी नौकर, माली या चौकीदार के सर फूटना चाहिए! चलिए मान लेते हैं! लेकिन सॉरी, आपको जानकर दुख होगा कि इस वक्त यहाँ कोई नौकर या माली मौजूद नहीं है!” कहकर इंस्पेक्टर […]
Nicely written. Nagpanchami is one of that festivals which combines the good vibes of conservating forests and their dependents. The…