चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। सभी प्राणी शांत, आंखें बंद किए हुए प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना मौन रूप में हो रही थी। शब्द भटकाने का काम करते हैं जबकि मौन आत्मा के अधिक निकट रहता है। प्रार्थना समाप्त होते ही महासंसद की कार्यवाही प्रारंभ हुई। ‘‘सदियों से तुम मनुष्यों ने तपती दुपहरी में हमें […]
मैं पीजी में मौजूद अपने कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजा बंद करके उसकी चटखनी लगाकर अपनी धौकनी सी चलती साँसों को काबू में लाने की कोशिश करने लगा। “क्या हुआ”,शेखर ने अपने फोन से नजरें उठाकर मेरी तरफ देखा। शेखर मेरा रूम मेट था। हम कॉलेज के वक्त से ही दोस्त थे और अब […]
यश खांडेकर ने महलनुमा इमारत को ध्यान से देखा। शाम के वक्त हल्की बारिश में पुराने जमाने की वह इमारत भूतिया प्रतीत हो रही थी। इमारत की सभी खिड़कियाँ बंद थी। बाहर से यह कहना असंभव था कि वह किसी पार्टी का आयोजन स्थल है। वह वहाँ किशोरचंद राजपूत के निमंत्रण पर पहुँचा था। अपने […]
“अरे उठो! नशे में हो क्या?” मैं झटके से उठा “हरिद्वार आ गया क्या?” “अरे हाँ, तभी तो उठा रहा हूँ, पर तू उठने को तैयार ही नहीं, कुंभकरण के वंशज”, बस कंडक्टर थोडा गुस्से में था. शायद मुझे थोडा ज्यादा समय ऐसे ही सोते हुए हो गया था. बस पूरी ख़ाली हो चुकी थी. […]
हमको बचपन से ही सिखाया जाता है कि कभी किसी के साथ बुरा मत करो क्योंकि ईश्वर सब देख रहा होता है और इसके अलावा हमको बचपन से ये भी सिखाया जाता है कि बुरे कर्मों के फल हमको इसी जन्म में मिलते हैं लेकिन अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर मैं ये कह सकता […]
अच्छे मियाँ ने जब पाँच साल की उम्र से ही अच्छे-अच्छे लक्षण दिखाने शुरू कर दिये, तो उनके बाप परेशान हो गये। माँ-बहन की अच्छी-अच्छी गालियाँ न सिर्फ़ याद थीं बल्कि गाँव के हाफ़ी जी जिस तरह से क़ुरान की तिलावत करते थे, उसी अंदाज़ में अच्छे […]
चुभती हुई गरमियों के दिन ..। नयन के माथे का घूँघट…उसके ललाट पर विषधर के फन सरीखा फैला हुआ था। पसीने से नहायी… हाथ का पंखा झलती ,वह घूँघट की ओट से आंगन की झकमक करती भीड़ को ताक रही थी। वहां शोरगुल के घने बादलों के बीच….रंगीन साड़ियों और दमकते गहनों से सजी गुजी […]
(उनको समर्पित जिनके लिए वतन…. धर्म और मज़हब से बढ़ कर था। उनको सुनाने के लिए जिनके लिए कौम और धर्म उनके मुल्क से बढ़ कर हैं. ) 18 मार्च 1858 (झांसी के किले में कहीं किसी जगह) “कितने हैं?” “दस हजार से कम न होंगे हुज़ूर साहिबा! पंद्रह भी हों तो बड़ी बात नहीं […]
कोडवर्ड की शिकार कोख रोहित मीणा नालायक अमित कुलश्रेष्ठ मौत की चिट्ठी आनंद सिंह इश्क दी जात आलोक बंसल एक कहानी भूली सी ठाकुर महेश सिंह जिन्नात सईद अयूब गुलनार डॉली परिहार घनगरज मनु दुग्गल जानवराधिकार प्रेम एस गुर्जर ब्याहता सुनीता सिंह दलित समर्थन, कानूनी घमर्थन शिवेश आनंद धरोहर मीनाक्षी चौधरी फटीचर परमाणु सिंह जिगर […]