हिन्दी व्याकरण लिखने के शुरूआती प्रयास औरंगजेब के शासन काल में हुए, जब मिर्ज़ा खां ने ब्रजभाषा का संक्षिप्त परिचयात्मक इतिहास लिखा. संभवतः 1715 ई. के आसपास हॉलैंड के जोशुआ जॉन केटलर ने हिन्दुस्तानी भाषा का व्याकरण लिखा, जिसे सुनीति कुमार चाटुर्ज्या ने ‘हिन्दुस्तानी का सबसे प्राचीन व्याकरण’ कहा है. डॉक्टर जॉन गिलक्राइस्ट ने 1790 […]
ब्रजभाषा और खड़ी बोली का अन्तर ब्रजभाषा मथुरा, वृंदावन, आगरा, अलीगढ़ में बोली जाती है, खड़ी बोली मेरठ, सहारनपुर एवं हरियाणा के उ.प्र. से सटे इलाको में बोली जाती है. ब्रजभाषा आकारान्त या औकारान्त है. यह प्रवृति संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया सबमें पाई जाती है. जैसे: घोड़ौ, छोरो, गोरो, सावरो, मेरो, तेरो, जाऊँगो; खड़ी बोली […]
अवधी और ब्रजभाषा में अंतर अवधी अर्धमागधी से विकसित कोसली अपभ्रंश से निकली है। यह लखनऊँ, उन्नाव, अयोध्या, गौंडा, बहराहच, फतेहपुर, रायबरेली आदि में बोली जाती है। ब्रजभाषा शौरसेनी अपभ्रंश से निकली है। यह मैनपुर, बदायूँ आदि में बोली जाती है। अवधी में इकार की प्रधानता है, ब्रजभाषा में यकार की अवधी में कर्ता का […]
अवधी भक्ति काल में और उसके बाद भी हिंदी प्रदेश की एक प्रमुख साहित्यिक भाषा रही है. इसमें प्रेमाख्यानक काव्य और रामभक्ति काव्य खासतौर पर लिखे गए. उसके ये रामभक्ति काव्य और प्रेमाख्यानक काव्य हिंदी को उसकी देन हैं. रामचरित मानस तो लगभग समस्त उत्तर भारत में धर्मग्रंथ की तरह महत्व पाता रहा. तुलसी ने […]
डा. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, अवधी के भाषायी अभिलक्षण पहली शताब्दी में ही मिलने लगे थे. वे तो सोहगौरा, रुम्मिन्देई एवं खैरागढ़ के अभिलेखों में भी अवधी में लक्षण ढूढ निकालते हैं. ये अभिलेख पहली शताब्दी के ही आसपास के हैं. बाबूराम सक्सेना भी अवधी को अर्धभागधी की तुलना में पालि के अधिक करीब मानते हैं. इसका […]
साहित्यिक ब्रजभाषा दसवीं- ग्यारहवीं शताब्दी के आस पास ही शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित हुई। डा. भंडारकर के इस कथन से भी इस बात की पुष्टि होती है कि जिस क्षेत्र में6वीं- 7वीं शताब्दी में अपभ्रंश का जन्म हुआ, उसी क्षेत्र में आज ब्रजभाषा बोली जाती है। ब्रजभाषा के विकास को तीन चरणों में बाटा जा […]
देवनागरी लिपि: उद्गम देवनागरी लिपि का उद्गम प्राचीन भारतीय लिपि ब्राह्मी से माना जाता है. 7वीं शताब्दी से नागरी के प्रयोग के प्रमाण मिलने लगते हैं. नवीं और दसवीं शताब्दी से नागरी का स्वरूप होता दिखता है। देवनागरी लिपि: नामकरण ‘नागरी’ शब्द की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में काफी मतभेद है। कुछ लोगों के […]
भाषा : भाषा उस यादृच्छिक, रूढ़ ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था को कहते हैं , जिसके माध्यम से मनुष्य परस्पर विचार विनिमय करता है. यह समाज का एक अलिखित समझौता है. लिपि:- लिपि उस यादृच्छिक, रूढ़ , वर्ण प्रतीको की व्यवस्था को कहते हैं , जिसके माध्यय से भाषा को लिखित रूप दिया जाता है. भाषा और लिपि में अनिवार्य सम्बंध नहीं है. लाखों […]
अपभ्रंश मध्यकालीन आर्यभाषा के तीसरे चरण की भाषा है. अपभ्रंश शब्द का अर्थ है –भ्रष्ट या पतित. पतंजलि ने अपने महाभाष्य में ‘संस्कृत के शब्दों से विलग भ्रष्ट अथवा देशी शब्दों एवं अशुद्ध भाषायी प्रयोगों’ को अपभ्रंश कहा है. दंडी और भामह अपभ्रंश का उल्लेख मध्यदेशीय भाषा के रूप में करते हैं. दंडी ने अपभ्रंश […]