
राजीव सिन्हा
Posts by राजीव सिन्हा:

हम देखेंगे
(मशहूर पाकिस्तानी ग़ज़ल गायिका इक़बाल बानो का पिछले दिनों देहांत हो गया।याह्या खाँ के शासन के विरोध में उनके द्वारा गायी गयी यह नज़्म फैज़ ने लिखी थी।) लाज़िम है कि हम भी देखेंगे हम देखेंगे ……. वो दिन कि जिसका वादा है जो लौह-ए-अजल में लिखा है हम देखेंगे […]
नारीवाद और विज्ञापनी संस्कृति
‘स्त्री न स्वंय ग़ुलाम रहना चाहती है और न ही पुरुष को ग़ुलाम बनाना चाहती है। स्त्री चाहती है मानवीय अधिकार्। जैविक भिन्नता के कारण वह निर्णय के अधिकार से वंचित नहीं होना चाहती।’ यह कथन विश्व की पहली नारीवादी मानी जाने वाली मेरी उल्स्टोनक्राफ़्ट का है। इस घोषणा को […]
नागमती का विरह वर्णन
पद्मावत की व्याख्या आमतौर पर एक सूफ़ी काव्य के रूप में होती रही है. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जैसे आलोचकों ने भी पद्मावत के लौकिक प्रेम की अलौकिक व्याख्या करने की कोशिश की है. यदि गौर से देखें तो पायेंगे कि पद्मावत में मुल्ला दाऊद, उस्मान और कुतुबन जैसे रचनाकारों के […]
न सताइश की तमन्ना…
‘न सताइश की तमन्ना न सिले की परवाह न सही मेरे अशआर में मानी न सही’ सोचता हूँ, ग़ालिब ने शेर किन परिस्थितियों में कहा होगा। इस बेपरवाही के पीछे कितनी पीड़ा छिपी है,अंदाज़ा लगाना आसान नहीं है। लगातार व्यंग्यवाणों के प्रहार से छलनी सीने से निकली यह आहत निःश्वास […]