छोटानागपुर क्षेत्र की अधिकांश जनजातियाँ ईसाई धर्म की ओर उन्मुख हो चुकी हैं। जनजाति युवाओं को बतौर पुरोहिताई कार्य के लिए सेमिनरी यानी गुरुकुल में प्रशिक्षण की व्यवस्था है और इन केंद्रों में अध्ययन का बड़ा आकर्षण है। ईसाई पादरी बनना एक उपलब्धि के साथ सम्मान की बात है। इन्हीं पादरी बनने के प्रशिक्षण केन्द्रों […]
यह उन कुछ दु:स्वप्नों में एक था जो हमें हमेशा डर था कि किसी दिन सच हो जायेंगे । इरफान नहीं हैं, यह एक सच है जो दिमाग जान चुका है लेकिन दिल बदमाशी पर आमादा है। कहता है, “हट, इरफान भी कभी मरा करते हैं। रात रात भर जागेगा तो ऊँघेगा और जब ऊँघेगा […]
आँखें..ऐसा लगता था मानों उबल कर बाहर आ जायेंगी..भूरी आभा लिए वही आँखें कभी क्रूरता की मिसाल तो कभी करुणा और याचना का उदाहरण पेश करती थीं। मामूली शक्लो-सूरत और हाथों में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की डिग्री लिए बेहद साधारण परिवार से निकल कर सफलता की चोटियों को छूने वाले इरफान खान महज एक […]
इरफान खान नहीं रहे !! क्या यह संभव है कि इरफान न रहे? हम जैसे सिनेमा प्रेमियों के लिये असंभव बात है। इसका सीधा कारण यह है कि जो कलाकार आपको अपने बीच का लगता है अपने जैसा लगता है वो कभी आपके साथ न रहे ऐसा असंभव लगता है। सबसे पहले मैंने व्यक्तिगत तौर […]
आज जैसे सारा भारत इरफान के लिए आंसू बहाने एक हो गया है। एक ऐसा सर्वस्वीकार्य व्यक्ति कोई अभिनेता ही हो सकता है। मन में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों? आखिर कोरोना संकट के इस दौर में जब हर इंसान को खुद की पड़ी है, हर कोई दूसरे को शक की नज़र से देख […]
संसार के जितने भी देश हैं उनमें इजराएल सबसे रहस्यमयी देश प्रतीत होता है, न जाने यह देश सदियों से आज तक इतने भीषण युद्धों और विषमताओं का बड़ा गवाह बना हुआ है कि कहना मुश्किल है और यही एक बड़ा कारण है कि इस देश की ओर बरबस आकर्षित होना और उस ओर […]
हिंदुस्तान में जब भी जातिवाद व जाति व्यवस्था पर चर्चा होती है तो हिन्दू वर्ण व्यवस्था की ही बात सामने आती है और अमूमन हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी कौम, मजहब व सम्प्रदाय का हो, उच्च जाति के लोगों पर निम्न जाति के लोगों के विरूद्ध अत्याचार, अन्याय व अपमान के आरोप लगते रहते […]
(मशहूर पाकिस्तानी ग़ज़ल गायिका इक़बाल बानो का पिछले दिनों देहांत हो गया।याह्या खाँ के शासन के विरोध में उनके द्वारा गायी गयी यह नज़्म फैज़ ने लिखी थी।) लाज़िम है कि हम भी देखेंगे हम देखेंगे ……. वो दिन कि जिसका वादा है जो लौह-ए-अजल में लिखा है हम देखेंगे ……. जब जुल्म ए सितम […]
‘स्त्री न स्वंय ग़ुलाम रहना चाहती है और न ही पुरुष को ग़ुलाम बनाना चाहती है। स्त्री चाहती है मानवीय अधिकार्। जैविक भिन्नता के कारण वह निर्णय के अधिकार से वंचित नहीं होना चाहती।’ यह कथन विश्व की पहली नारीवादी मानी जाने वाली मेरी उल्स्टोनक्राफ़्ट का है। इस घोषणा को हुए दो सौ साल बीत […]