समकालीन लेखन
मिस्टर एक्स
मैं हतप्रभ हूँ. उन आँखों की सदाबहार चमक, आंसुओं से धुंधला गयी है. वे जुझारू तेवर, वे हौसले, पहली बार पस्त पड़ गये हैं. मेरी परिचिता, प्रबुद्ध, जीनियस स्त्री कही जा सकती है. उसने कई बार, खुद को साबित किया है. जीवन – दर्शन को लेकर, वह संजीदा हो उठती […]
नालायक़ बेटा
रामानंद बाबू को अस्पताल में भर्ती हुए आज दो महीने हो गये। वे कर्क रोग से ग्रसित हैं। उनकी सेवा-सुश्रुषा करने के लिए उनका सबसे छोटा बेटा बंसी भी उनके साथ अस्पताल में ही रहता है। बंसी की माँ को गुज़रे हुए क़रीब पाँच वर्ष हो चुके हैं। अपनी माँ […]
लाल महत्वाकांक्षाएँ
उसने अपनी छोटी- छोटी आंखें खोलीं । सामने मम्मी-पापा खड़े थे । उनको देखकर उसके चेहरे के भावों में कोई परिवर्तन नहीं आया । मानो कुछ ना हुआ हो । कुछ ना देखा हो । अगर कुछ देखा भी तो महत्वहीन । तभी बेड के किनारे खड़ी दादी पर उसकी […]