“खाना बन गया??”- दरवाजा खुलते ही वो तेजी से भीतर दाखिल होकर वह गुर्राया।
“न….नहीं”- सीमा सहमी सी बोली।
“इतनी देर हो गयी? क्या घास छीलती रहती हो दिन भर? या शृंगार करती रहती हो? कोई काम होता है तुमसे? तुम्हे पता है मुझे कितना काम करना होता है?” वह दहाड़ा।
“पर…” उसने कुछ कहना चाहा।
“पर वर क्या।” वह चिल्लाया। “न जाने किस घड़ी इसे घर में मैं ले आया।” वह बुदबुदाया।
“जल्दी करो और हाँ मैं अपने स्टडी में जा रहा हूँ। नौ बजे तक सब तैयार हो जाना चाहिए। तब तक मुझे डिस्टर्ब न करना।” कहकर उसने उसे हिकारत की नजरों से देखा।
सीमा जहाँ थी वहीं जड़ खड़ी रह गयी। उसके होंठ थरथरा रहे थे। उसके आँखों से अश्रुधारा बहने लगी थी।
तभी उसका फोन बजा। फोन पर उसकी दोस्त कौशल्या थी।
“हाँ सीमा क्या हाल हैं।” सीमा ने फोन उठाया तो उसकी सहेली ने चहकते हुए कहा।
“कुछ नहीं” सीमा ने खुद पर काबू पाते हुए और अपने आँसुओं को पोंछते हुए कहा।
“अरे आज का क्या प्लान है?” कौशल्या अपनी ही रौ में बोली।
“कुछ नहीं यार तुझे तो पता है मुझे ज्यादा शोर शराबा पसंद नहीं है।” – सीमा ने बहाना किया।
“वो तो मुझे पता है ;लेकिन आज तो कुछ न कुछ करना चाहिए था या लव बर्ड्स का अकेले में गुटरगूँ करने का इरादा है।”- कौशल्या ने शोखी से कहा।
“हा हा ” सीमा ने खोखली हँसी हँसी। “तू किसी दिन घर आ तेरे को पार्टी दे दूँगी।” सीमा ने बात खत्म करने के लहजे से कहा।
“वो तो तू देगी ही। अच्छा ये बता जीजू ने तेरे लिए आज क्या लिखा?”- वह बोली।
“क्या करेगी जानकर।” सीमा ने कहा।
“बता न यार। तू कितनी लकी है जो इतने मशहूर प्रेम गीत लिखने वाले व्यक्ति की पत्नी है। कितने खूबसूरत गीत लिखते हैं वो। सुनकर मन में प्रेम का सोता फूटने लगता है।” कौशल्या के कहने के लहजे में एक तरह की ईर्ष्या थी।
सीमा ने इस ईर्ष्या को महसूस किया और उसके चेहरे पर एक दुःख भरी हँसी आ गयी। उसे झटकते हुए वह कौशल्या से बोली – “भई जो गीत लिखा है वो सिर्फ मेरे लिए है। तुझे तभी सुनाऊंगी जब तू यहाँ आएगी। समझी।” कहकर सीमा फिर वो नकली हँसी हँसी जिसकी उसे अब आदत पड़ चुकी थी।
” सही है बच्चू… सही है किस्मत वाली है तू। चल एन्जॉय कर आज। तुझे ज्यादा डिस्टर्ब नहीं करूँगी।”- कहकर कौशल्या ने फोन काट दिया।
सीमा ने फोन रखा और एक गहरी साँस ली। उसे कौशल्या से रश्क था। वह एक ऐसी महिला थी जैसा बनने का ख्वाब वो देखा करती थी। मजबूत,स्वालम्बी और अपने हिसाब से जीने वाली। इस बार वो घर आएगी तो वह उससे बात करेगी और अंतिम फैसला लेकर रहेगी।
वह किचन की तरफ तेजी से बढ़ गयी। जो प्रेम गीत वो सुन चुकी थी उसका उसे दोबारा सुनने का कोई इरादा नहीं था।
वह अब एक नया प्रेम गीत लिखना चाहती थी जो केवल उसके लिए होगा।
बेहतरीन कहानी.. लघु कथा, अपनी छाप छोड़ती है
हार्दिक आभार।
बढ़िया कहानी हर किसी को दूसरे की स्थिति हमेशा बेहतर लगती
बढ़िया
हर किसी को दूसरे को स्थिति हमेसा बेहतर लगती
बहुत ही उम्दा लघुकथा ।
आभार, नीलेश भाई।
Sikke ka dusra pahlu .Hamesha ki tarah sacchai ko peeth peeche dabaye hue.
हार्दिक आभार।
Engaging, well-written, and thought provoking story.
आभार।