चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। सभी प्राणी शांत, आंखें बंद किए हुए प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना मौन रूप में हो रही थी। शब्द भटकाने का काम करते हैं जबकि मौन आत्मा के अधिक निकट रहता है। प्रार्थना समाप्त होते ही महासंसद की कार्यवाही प्रारंभ हुई। ‘‘सदियों से तुम मनुष्यों ने तपती दुपहरी में हमें […]
“अरे उठो! नशे में हो क्या?” मैं झटके से उठा “हरिद्वार आ गया क्या?” “अरे हाँ, तभी तो उठा रहा हूँ, पर तू उठने को तैयार ही नहीं, कुंभकरण के वंशज”, बस कंडक्टर थोडा गुस्से में था. शायद मुझे थोडा ज्यादा समय ऐसे ही सोते हुए हो गया था. बस पूरी ख़ाली हो चुकी थी. […]
हमको बचपन से ही सिखाया जाता है कि कभी किसी के साथ बुरा मत करो क्योंकि ईश्वर सब देख रहा होता है और इसके अलावा हमको बचपन से ये भी सिखाया जाता है कि बुरे कर्मों के फल हमको इसी जन्म में मिलते हैं लेकिन अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर मैं ये कह सकता […]
कोडवर्ड की शिकार कोख रोहित मीणा नालायक अमित कुलश्रेष्ठ मौत की चिट्ठी आनंद सिंह इश्क दी जात आलोक बंसल एक कहानी भूली सी ठाकुर महेश सिंह जिन्नात सईद अयूब गुलनार डॉली परिहार घनगरज मनु दुग्गल जानवराधिकार प्रेम एस गुर्जर ब्याहता सुनीता सिंह दलित समर्थन, कानूनी घमर्थन शिवेश आनंद धरोहर मीनाक्षी चौधरी फटीचर परमाणु सिंह जिगर […]
घंटी की आवाज सुनते ही खेल के मैदान में भगदड़ मच गई. लड़के खेल छोड़कर अपने कमरों की और भागे. अशोक तो ‘कबड्डी-कबड्डी’ करता हुआ ही अपने कमरे में पहुँच गया. डेस्क के नीचे पड़े हुए जूते पहनने के लिए वह जैसे ही झुका, उसकी नजर अपनी पुस्तक पर पड़ी. पुस्तक औंधे मुँह पड़ी थी. […]
क्राइम फिक्शन, विश्व भर में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली विधा है। हर वर्ग का पाठक इस विधा को कभी न कभी पढ़ता ही है। आप और हम देखते हैं कि अनेकानेक भाषाओं में विश्वस्तरीय क्राइम फिक्शन पुस्तकों का अनुवाद होता और वे बड़े चाव से पढ़े जाते हैं। ईबुक की दुनिया में तो प्रतिदिन […]
विष्णु खरे को श्रद्धांजलि स्वरूप 1947 के बाद से इतने लोगों को इतने तरीकों से आत्मनिर्भर मालामाल और गतिशील होते देखा है कि अब जब आगे कोई हाथ फैलाता है पच्चीस पैसे एक चाय या दो रोटी के लिए तो जान लेता हूँ मेरे सामने एक ईमानदार आदमी, औरत या बच्चा खड़ा है मानता हुआ […]
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित ‘सरस्वती’ (सितंबर 1914) में प्रकाशित यह कविता हिंदी दलित साहित्य की पहली रचना मानी जाती है. हमनी के राति दिन दुखवा भोगत बानी हमनी के सहेब से मिनती सुनाइबि। हमनी के दुख भगवानओं न देखता ते, हमनी के कबले कलेसवा उठाइबि। पदरी सहेब के कचहरी में जाइबिजां, बेधरम होके रंगरेज […]
एक रीडर के तौर पर आपने किसी भी पुस्तक को स्टार्ट करने के बाद महसूस किया होगा कि किसी पुस्तक का पहला चैप्टर ही रीडर के मन मे उस पुस्तक को खत्म करने का बीज बो देता है। एक लेखक के तौर पर भी अमूमन यही सलाह वरिष्ठ लेखकों से मिलती है कि वे पहले […]