“तू झूठ बोलता है, साले!” – सब इंस्पेक्टर दिनेश राठी के होठों से निकलता यह शब्द गौरव प्रधान के लिए किसी रिवाल्वर से निकली गोली के समान था। “तूने ही अपने पिता का क़त्ल किया है। बता क्यूँ किया अपने बाप का खून, किसलिये किया, कैसे किया, बता।” – दिनेश राठी फिर चिल्लाया। उसकी आँखें […]
ख़ुर्शीद में जल्वा चाँद में भी । हर गुल में तेरे रुख़सार की बू । घूँघट जो खुला सखियों ने कहा । ऐ सल्ले अला, अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी । दिलदार ग्वालों, बालों का । और सारे दुनियादारों का । सूरत में नबी सीरत में ख़ुदा । ऐ सल्ले अला, अल्लाहो ग़नी, अल्लाहो ग़नी । […]
काली इटैलियन का बारीक लाल गोटेवाला चूड़ीदार पायजामा और हरे फूलोंवाला गुलाबी लंबा कुर्ता वह पहने हुई थी। गोटलगी कुसुंभी (लाल) रंग की ओढ़नी के दोनों छोर बड़ी लापरवाही से कंधे के पीछे पड़े थे, जिससे कुर्ते के ढीलेपन में उसकी चौड़ी छाती और उभरे हुए उरोजों की पुष्ट गोलाई झलक रही थी। अपनी लंबी […]
अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है, क्यों न इसे सबका मन चाहे, थोड़े में निर्वाह यहाँ है, ऐसी सुविधा और कहाँ है ? यहाँ शहर की बात नहीं है, अपनी-अपनी घात नहीं है, आडम्बर का नाम नहीं है, अनाचार का नाम नहीं है। यहाँ गटकटे चोर नहीं है, तरह-तरह के शोर नहीं है, सीधे-साधे भोले-भाले, […]
तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर, अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर! सुबह औ’ शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर, तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूमकर, तू आ मेरा सिंगार कर, तू आ मुझे हसीन कर! अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार […]
झंडा ऊंचा रहे हमारा. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा . सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला, वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा. स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में, कांपे शत्रु देखकर मन में, मिट जावे भय संकट सारा, […]
उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्तां होगा | रिहा सैय्याद के हाथों से अपना आशियां होगा || चखाएंगे मजा बर्बादिये गुलशन का गुलचीं को | बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बागबां होगा || ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे क़ातिल | पता कब फैसला उनके हमारे दरम्यां होगा || जुदा मत […]
हिंदबाद और बाकी दोस्तों के आ जाने के बाद सिंदबाद ने अपनी कहानी शुरू की. सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने […]