मैला आँचल’ ! हैरत है उन पाठकों और समीक्षकों की अक्ल पर जो इसकी तुलना ‘गोदान’ से करने का सहस कर बैठे ! उछालिए साहब, उछालिये ! जिसे चाहे प्रेमचंद बना दीजिये, रविंद्रनाथ बना दीजिये, गोर्की बना दीजिये ! ज़माना ही डुग्गी पीटने का है !
ये उन दिनों की बात है, जब मैंने इंटर की परीक्षा पास कर बी ए में एडमिशन लिया था. शायद 1994 के शुरूआती महीनों की. अब तक का अपना सिनेमा देखने का अनुभव बड़ों के साथ उनकी निगरानी में ही रहा था. स्कूल के कई लड़के क्लास बंक करके सिनेमा देखने में माहिर थे, लेकिन […]
मिथिला के लोक में गोनू झा वैसे ही प्रसिद्ध हैं, जैसे अकबर के दरबार में बीरबल और कृष्णदेव राय के दरबार में तेनालीराम . गोनू झा की हाजिरजवाबी और तीक्ष्ण बुद्धि बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल सहज ही निकाल लेती है. बिहार की लोककथाओं से पढ़िए गोनू झा की चतुराई का यह किस्सा. गोनू […]
शेखचिल्ली एक दिन अपने घर के सामने अहाते में बैठे भुने हुए चने खा रहे थे और साथ ही जल्दी-से-जल्दी अमीर बनने के सपने देख रहे थे. खुली आँखों से सपने देखते हुए कुछ चने खा रहे थे और कुछ नीचे गिरा रहे थे. संयोग से जमीन पर गिरे चने के दानों में एक दाना […]
चंपावति जो रूप सँवारी । पदमावति चाहै औतारी ॥ भै चाहै असि कथा सलोनी । मेटि न जाइ लिखी जस होनी ॥ सिंघलदीप भए तब नाऊँ । जो अस दिया बरा तेहि ठाऊँ ॥ प्रथम सो जोति गगन निरमई । पुनि सो पिता माथे मनि भई ॥ पुनि वह जोति मातु-घट आई । तेहि ओदर […]