पद्मावत-सिंहलद्वीप वर्णन खंड-द्वितीय पृष्ठ (मानसरोवर)-मलिक मुहम्मद जायसी
बसहिं पंखि बोलहिं बहु भाखा । करहिं हुलास देखि कै साखा ॥ भोर होत बोलहिं चुहुचूही । बोलहिं पाँडुक “एकै तूही”” ॥ सारौं सुआ जो रहचह करही । गिरहिं परेवा औ करबरहीं ॥ “पीव पीव”कर लाग पपीहा । “तुही तुही” कर गडुरी जीहा ॥ `कुहू कुहू‘ करि कोइल राखा । […]