साहित्य विमर्श पर कुंदन यादव की कई कहानियाँ आप पढ़ और सराह चुके हैं। पिछले दिनों कुंदन दक्षिण भारत की यात्रा पर थे। पढ़िये इस दक्षिण यात्रा का वृतांत कुंदन की विशिष्ट बनारसी शैली में बनारस में एक प्रचलित कहावत है, “बड़ा तेज बनत रहलन, ससुर दक्खिन लग गईलन”! […]
संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन से दक्षिण की तरफ रमना और बनपुरवा जाने वाली कच्ची सड़क के रास्ते में मदरवाँ गाँव था. बनारस शहर और गाँव का संधि स्थल. गजाधर तिवारी उर्फ़ गँड़ासा गुरु इस गाँव के अनमोल रतन थे. गँड़ासा गुरु जैसा नामकरण उन्हें गाँव में ही मिला था. एक बार गाय के […]
डाक्टरी की लंबी पढ़ाई और इंटर्नशिप आदि पूरी करने और दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में दो साल की प्रैक्टिस करने के बाद सरकारी डॉक्टर के तौर पर सार्थक की पहली तैनाती आगरा की बाह तहसील के एक ग्रामसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई। उसके साथ ही उसकी सहपाठी और अब मंगेतर डॉ […]
बात करीब दस बारह साल पहले की है, जब गोपाल होली की छुट्टियों में अपने पुस्तैनी घर आया था। उसके जन्म से पहले ही उसके पिता प्रभुनाथ सीआरपीएफ़ में कंपनी कमांडर हो गए थे। साल में एकाध बार ही घर आ पाते। बनारस कचहरी से लगभग दो फ़र्लांग बढ़ते ही गाजीपुर रोड पर सय्यद बाबा […]
फूलचंद ठेकेदार दोपहर का भोजन करके सोने के बाद उठे, घड़ी की तरफ देखा. साढ़े तीन बजने वाले थे. उन्होंने जल्दी से चेहरा धोया और सुँघनी मंजन करते हुए घर से बाहर चबूतरे पर आए. मंजन करते हुए जब दाईं तरफ नज़र गई तो देखा स्कूटर नहीं था. थोड़ी देर में उनको […]
बनारस शहर के दक्षिणी हिस्से में लंका से सामनेघाट होते हुए गंगा नदी के ऊपर बने पीपे के पुल वाले रास्ते में ही शिवधनी सरदार का घर था। खाते पीते परिवार के स्वामी थे । स्वयं विश्वविद्यालय में तृतीय श्रेणी कर्मचारी थे । एक बांस बल्ली की दुकान थी, जहां निर्माणाधीन मकानों के लिए किराए […]
कोतवाल रामलखन सिंह अपने कमरे में कुछ उदासी भरी सोच की मुद्रा में बैठे थे. उन्होंने सपने में भी न सोचा था कि जरा से बवाल से कप्तान उन्हें लाइन हाजिर कर देगा. ऐसा भी नहीं था कि वे पहले निलंबित या लाइन हाजिर नहीं हुए थे. कई बार तो उन्होंने सिर्फ कोतवाल बने रहने […]