अपराध गल्प लेखन : एक नज़र #४
प्राइवेट डिटेक्शन एडगर एलन पो को कई लोग ‘क्राइम फिक्शन का जनक’ तो कई ‘ डिटेक्शन फिक्शन का पिता’ कहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने तर्कसंगत विश्लेषण का प्रयोग करते हुए,
प्राइवेट डिटेक्शन एडगर एलन पो को कई लोग ‘क्राइम फिक्शन का जनक’ तो कई ‘ डिटेक्शन फिक्शन का पिता’ कहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने तर्कसंगत विश्लेषण का प्रयोग करते हुए,
अध्याय ११: नौरत्न संध्या बीत गयी है, निर्मल आकाश में छठ का चन्द्रमा हँस रहा है। नौरत्न के पास के गाँव में रामलीला की धूम है। सारा गाँव रामलीला देखने को एकत्र हुआ है, सिर्फ गूजरी नहीं गयी है। वह अपनी झोपड़ी में बिछौना बिछाकर चिराग चलाये बैठी है। इतने […]
अध्याय १०: मैदान में आकाश में न बादल हैं न चाँद, सिर्फ लाखों तारे चारों ओर चमक रहे हैं। मैदान सनसन कर रहा है। कहीं जीव-जंतु का नाम निशाँ नहीं मिलता। केवल पेड़ों पर जुगनू चकमक कर रहे हैं। रात बीत चली है। इसी अवसर पर भोला पंछी मैदान […]
पुलिस प्रशासन एवं डिटेक्टिव्स एक क्राइम फिक्शन कहानी के लिए क्या-क्या चीजें चाहिये – अपराध, अपराधी, मकतूल, डिटेक्टिव या पुलिस ऑफिसर। ब्रिटेन और अमेरिका के शुरुआती दौर (18 वीं शताब्दी) के क्राइम-फिक्शन कहानियों में पुलिस और डिटेक्टिव्स का कहीं भी इस्तेमाल होता नही दिखाया जाता है। 19वीं सदी के आरंभ […]
अध्याय ९ : मुंशी जी का मकान मुंशी हर प्रकाशलाल अपने मकान पर पहुँच गए है। उनका मकान हीरा सिंह की इमारत की तरह आलीशान नहीं है और उनका न उतना ठाठ-बाट है परन्तु बहुत मामूली भी नहीं है। मकान खूब साफ़-सुथरा और देखने योग्य है। मकान के सामने रास्ता […]