अपराध गल्प लेखन : एक नज़र #३
पुलिस प्रशासन एवं डिटेक्टिव्स

एक क्राइम फिक्शन कहानी के लिए क्या-क्या चीजें चाहिये – अपराध, अपराधी, मकतूल, डिटेक्टिव या पुलिस ऑफिसर। ब्रिटेन और अमेरिका के शुरुआती दौर (18 वीं शताब्दी) के क्राइम-फिक्शन कहानियों में पुलिस और डिटेक्टिव्स का कहीं भी इस्तेमाल होता नही दिखाया जाता है। 19वीं सदी के आरंभ तक भी, कहानियों से पुलिस और डिटेक्टिव्स गायब ही रहे हैं। न्यूगेट कैलेंडर के कई ब्यौरों को आधार बनाकर लिखी गयी कहानियों में अपराधियों को ही डिटेक्शन करते हुए दिखाया गया लेकिन फ्रांस में, 17 वीं शताब्दी से ही पुलिस प्रशासन उपलब्ध था जिसे फ्रांस की सरकार द्वारा चलाया जा रहा था, जो कि 19 वीं शताब्दी में, डिटेक्शन के तरीके भी अपनाने लगे। जहाँ ब्रिटेन में अपराधियों द्वारा ही डिटेक्शन के मेथड का इस्तेमाल किया जा रहा था, वहीं फ्रांस में, फ्रांस सरकार द्वारा, पुलिस प्रशासन की व्यवस्था में, पुलिस अफसर, स्पाई, इनफॉर्मर एवं अपराधियों का भी इस्तेमाल होता था।

यूजीन फ्रैंकोइस विडोक एक अपराधी था लेकिन उसकी डबल एजेंट की सुघड़ कार्यप्रणाली एवं bhumiके कारण 1812 में उसे फ्रांस सरकार द्वारा स्थापित पुलिस डिटेक्टिव के एक ब्रिगेड का चीफ बना दिया गया। यह संस्था, विडोक और उसे जैसे कई भूतपूर्व अपराधियों द्वारा चलाया जाता था। चूंकि ये अपराध की दुनिया की जानकार थी एवं उन्हें अपराधियों के मोडस ऑपरेंडी का ज्ञान था, इसलिए वे मुख्यतः सफल ही होते थे। हालांकि यह सफलता कानून को ताक पर रखकर की गई डिटेक्शन के द्वारा मिली थी इसलिए वर्तमान के अनुसार उन डिटेक्शन को गैरकानूनी कहना बेहतर होगा। विडोक को 1827 में भ्रष्टाचार के आरोप में इस पद से हाथ धोना पड़ा लेकिन उसके बाद उसने अपनी प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी खोल ली। लेकिन विडोक को असल ख्याति उसके द्वारा लिखे गए संस्मरण से मिला जिसने क्राइम फिक्शन विधा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। कहा जाता है कि सर एडगर एलन पो एवं आर्थर कॉनन डायल ने, विडोक के संस्मरण से ही प्रेरणा लिया था। लेकिन उससे पहले ही फ्रांस में, कई लेखकों ने पुलिस प्रशासन एवं डिटेक्टिव का इस्तेमाल अपनी कहानी में करना शुरू कर दिया था।

वहीं इसके उलट, ब्रिटेन में न्यूगेट कैलेंडर, न्यूगेट नावेल के रूप में आने लगा। 19 वीं सदी के आधे दशक तक, न्यूगेट नोवेल्स में, अपराधी एवं अपराध के बारे में ही बात होती थी। यही कारण है कि न्यूगेट नोवेल्स को अपराध एवं अपराधियों को ग्लोरीफाई करने का दोषी माना जाने लगा। उस दौर के कई नामी लेखकों का नाम इस श्रेणी में आता है, जिन्होंने न्यूगेट कैलेंडर के ब्यौरों का इस्तेमाल अपने उपन्यासों में किया। कहा जाता है कि चार्ल्स डीकेन की कृति ‘ओलिवर ट्विस्ट’ भी कहीं न कहीं न्यूगेट कैलेंडर के ब्यौरों से प्रेरित थी। क्राइम फिक्शन विधा के विकास में न्यूगेट कैलेंडर का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि यह अपराधियों के बनने एवं उनके मोटिवेशन के बारे में बताता है, वहीं डिटेक्शन का भी टच नज़र आता है।

1829 में, ब्रिटेन में जब मेट्रोपोलिटन पुलिस की स्थापना हुई तो उसका काम लोगों के सिविल राइट्स की रक्षा करना था न कि डिटेक्शन करना। डिटेक्शन के लिए, ‘बो स्ट्रीट रनर्स’ का प्रयोग किया जाता था, जो कि एक छोटी सी संस्था थी, जिसकी स्थापना हेनरी फील्डिंग नामक मजिस्ट्रेट ने 1749 में किया था। 7 सदस्यों से शुरू हुई यह संस्था, 18 वीं सदी के अंत तक पूरे इंग्लैंड में फैल गया और एक असरकारी डिटेक्टिव एजेंसी के रूप में खुद को स्थापित किया। सन 1839 में इस संस्था पर प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि इस संस्था के अधिकतर डिटेक्टिव भूतपूर्व अपराधी होते थे, जो अपराध की दुनिया छोड़ने के बाद डिटेक्टिव के रूप में अपना दूसरा जीवन शुरू करते थे।
उस दौर के कई क्राइम फिक्शन कहानियों में अपराधियों को निम्न वर्ग का दिखाया जाता था और डिटेक्टिव को उच्च वर्ग का। लेकिन लंदन में ‘मेट्रोपोलिटन पुलिस फ़ोर्स’ की स्थापना एवं उसके अस्तित्व को स्वीकार कर लेने के बाद, अपराध कथा साहित्य में यह विकास हुआ कि, कहानियों में प्राइवेट डिटेक्टिव एवं सादे कपड़ों वाले डिटेक्टिव का उदय होने लगा। सन 1849 में विलियम रसेल नामक पत्रकार ने, कुछ काल्पनिक कहानियों को एक पत्रिका में प्रकाशित किया – ‘Recollections of Police Officer’ – जिसमे ‘वाटर्स’ नामक पुलिस के डिटेक्टिव को मुख्य किरदार में लिया जो भूतकाल में, एक जुआरी था। इसने उस शुरुआत को स्थापित किया जो आगे चलकर, एक विधा का रूप लेने वाला था। 19 वीं शताब्दी के अंत तक कई लेखकों द्वारा काल्पनिक अपराध कथाओं, संस्मरण, आत्म-कथा आदि के द्वारा, डिटेक्टिव को टारगेट किया गया, उन पर लिखा गया और यह सिलसिला शरलॉक होल्म्स के उदय तक जारी रहा।