मई की मिस्ट्री -तीसरे स्थान पर चयनित हल
“आर यू श्योर, फ्रेड?”
“यस सर, क्वाइट श्योर।”
“लेकिन कैसे?”
“बहुत सिंपल है सर, वो कहते हैं न कि झूठ के पाँव नहीं होते, तो झूठ ज्यादा देर टिक नहीं पाता है।”
मैंने फ्रेड को चुप रहने का इशारा किया, और उन पाँचों को अंदर के कमरे में बैठने को कहा।जब वो पाँचों अंदर चले गए तो अब कमरे में केवल फ्रेड और मैं ही रह गए थे। तब मैनें फ्रेड से कहा, “अब बताओ कि किस आधार पर तुमने अपना निष्कर्ष निकाला है और क्या निकाला है?”
ज़वाब में फ्रेड ने कहा—
“सर, बहुत सीधा सादा सा केस है। जब हम यहाँ पर आये थे तो आपने देखा था कि खिड़की से सूर्य नीचे समुद्र में समाहित हो रहा था और सर, अगर आप भूगोल का सामान्य सा ज्ञान रखते होंगे तो आपको पता होगा कि केवल एक दिशा में देखने से आपको सूर्योदय और सूर्यास्त का अवलोकन नहीं हो सकता।”
“हाँ फ्रेड, सही कह रहे हो तुम।”
“तो सर, हमारी कासना मोहतरमा ने सुबह उसी खिड़की से सूर्योदय के दर्शन कैसे कर लिए? जबकि उस खिड़की से केवल सूर्यास्त का नजारा होता है। फिर उन्होंने लाश को पानी पीकर लौटते हुए देखा जबकि आने और जाने का रास्ता एक ही रहा होगा। ये बात तर्क की कसौटी पर सही नहीं बैठती कि कोई इंसान सुबह अर्धनिद्रा में आने और जाने के लिए दो अलग रास्तों का चुनाव करे। सर रुको… जब में बोल लूँ तो सवाल कर लेना। इतनी घृष्टटा तो स्वीकार कर लो मेरी।”
“ठीक है फ्रेड, तुम अपनी बात पूरी करो।” मैने बेमन से कहा क्योंकि प्रश्न मेरे दिमाग में भी थे।
“अब सर रही बात मर्डर की तो वो सुबह जल्दी ही हुआ होगा क्योंकि भतीजी कासना के बयान के मुताबिक उन्होंने लाश देखते समय खून की लकीर चलते हुए देखी है। और अगर आप उनकी सूजी हुयी आँखों को देखो तो इसका मतलब ये नहीं कि वो रोई हैं बल्कि इसका मतलब ये है कि वो पूरी रात क़त्ल करने के लिए मौके की तलाश में जागती रही हैं, हो सकता है कि मकतूल रात को दरवाजा बंद करके सोया हो और ये पूरी रात घात लगाकर बैठी रहीं हों। और जैसे ही मकतूल सुबह उठकर दरवाजा खोलकर बैठता है (जैसे कि हम सब करते हैं) मोहतरमा ने तुरंत पीछे से उनके सर में गोली दाग दी होगी।”
“अच्छा फ्रेड, इतनी लॉजिकल थिंकिंग! कैसे सोचा इतना?”
“बस सर आप जैसे सीनियर्स का आशीर्वाद है।”
“वो सब तो ठीक है, लेकिन कत्ल का उद्देश्य और मर्डर वेपन? और वो जो दो मित्र और दो नौकर थे? उनका क्या?”
“सर, उद्देश्य तो केवल जमीं जायदाद रहा होगा और रही बात मर्डर वेपन की तो आपकी एक फटकार से बड़े बड़े नेता भी अपनी ली हुयी रिश्वत क़ुबूल कर लेते हैं। अगर मित्रों और नौकरों की बात करें तो आप खुद मुझसे ज्यादा दानिश हो। उनका कहीं कोई दखल मेरे नजरिये से तो है नहीं।”
“अच्छा ज्यादा चापलूसी मत करो, में तुम्हारी थ्योरी से लाज़बाब हूँ। अब जरा पाँचों को बुलाओ।”
पाँचों के आने पर मैने केवल इतना ही कहा था, ” रागिनी यू आर अंडर अरेस्ट। और इतना सुनते ही रागिनी की आँखों से आंसूं टपकने लगे।और मेरी तथाकथित एक फटकार से मर्डर वेपन मेरी सुपुर्दगी में था और मुझे कत्ल का उद्देश्य भी पता था। कत्ल का उद्देशय केवल जमीं जायदाद तो थी ही लेकिन इसके अलावा भी कुछ था। लड़की जवान थी और गिरफ्तार थी तो उसकी बदफ़ेलि करने का मुझे तो कोई कारण समझ नहीं आ रहा।”
खैर मेरे एक मातहत क़ी सूजभूज से एक अनोखे क़त्ल के केस का हल हो चुका था। और फ्रेड का नाम मैनें खुद प्रोमोशन लिस्ट में अपने हस्ताक्षर के साथ दाखिल किया था। और इस प्रकार ये कंडोलिम बीच मर्डर केस हल हो चूका था।
33 वर्षीय,सुनीत शर्मा पेशे से शिक्षक हैं। बचपन से ही उन्हें पढने का शौक है और यह शौक अखबार में प्रकाशित लघुकथाओं, कथाओं, कॉमिक्सों से गुजरता हुआ अब उपन्यासों पर ठहर गया है। उन्होंने वर्ष 1997 में पहला उपन्यास श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का पढ़ा था और इसके बाद पाठक जी के प्रकाशित उपन्यासों में से में लगभग 250 से ज्यादा उपन्यास पढ़ चुके हैं। साथ ही वे देशी-विदेशी कई लेखकों को पढ़ते हैं। सुनीत जी को किताबें और कॉमिक्स के संग्रह करने का भी शौक है। उन्हें कहानियां और संस्मरण लिखने का भी शौक है जो वे अक्सर अपने फेसबुक अकाउंट के माध्यम से शेयर करते रहते हैं।