नंदी की चोरी- चौथे स्थान पर चयनित हल
वह इलाका पालम थाने के अंतर्गत आता था। वहाँ से दो हवलदार और थाना इंचार्ज त्यागी आए थे। बाहर अभी भी बारिश हो रही थी। सभी ने अपनी-अपनी गीली जैकेटें उतारी और उसी कुर्सी पर रख दीं। अनिल शर्मा ने उनका अभिवादन किया और ड्राइंग रूम में बैठने का इशारा किया।
वहाँ उन दोनों के अलावा वहाँ हवलदार धर्मपाल, चावला चाइनीज का मैनेजर, डिलीवरी ब्वॉय राजेश मखीजा और मालविका भी मौजूद थे।
अनिल शर्मा ने कहा, “मुझे चोर का अंदाजा हो गया है, लेकिन इससे पहले मैं कुछ सवाल जवाब करना चाहता हूँ… सब के सामने।” और मालविका की ओर मुखातिब हुआ, “आपको कोई ऐतराज तो नहीं?”
मालविका ने कहा, “मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता है?”
अनिल – “मैं चाहता हूँ कि यहाँ देबीप्रसाद जी मौजूद रहें।” और मालविका की ओर देखा। मालविका इशारा समझ गई और देबीप्रसाद परिदा को लेने अंदर चली गई।
धर्मपाल फुसफुसाया, “क्या माजरा है? क्या करना चाह रहा है? सीधे चोर का नाम क्यों नहीं बताता? यू मजमा क्यों लगाया सै।”
अनिल शर्मा ने कहा, “तू तमाशा देख!”
तब तक मालविका परिदा को व्हीलचेयर पर बाहर ले आई। देबीप्रसाद परिदा के चेहरे पर दुख की लकीरें साफ देखी जा सकती थीं।
अनिल शर्मा ने शुरूआत की, “मालविका जी, नंदी का इतिहास एक बताएंगी? यह आपके पास कहाँ से आया था?”
मालविका ने देवीप्रसाद की ओर देखा और कहा, “आपको बता चुकी हूँ कि यह 80 के दशक में झारखंड की कोयले की खदान से निकला था, जिसे बाद में…”
“आप गलतबयानी कर रही हैं। झारखंड राज्य सन 2000 में बना है, जब 80 के दशक में झारखंड अस्तित्व में था ही नहीं।” अशोक शर्मा ने विजेता से स्वर में कहा, “जब आपने यह बताया तभी मुझे शक हो गया था। आपने दरवाजा खुला होने का अंदेशा जताकर शक की सुई राजेश मखीजा की ओर मोड़ने की कोशिश की, लेकिन राजेश मखीजा सच बोल रहा है। इसने इस कमरे में कदम नहीं रखा। यदि रखा होता, तो बारिश में भीगे जूतों के निशान इस फर्श में जरूर पड़ते, जैसे हमारे पड़े हैं। इसके अलावा कोई और चोर या सेंधमार आता तो पहले इन मूर्तियों के बजाए यहाँ के इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान चुराता, इस नटराज को चुराता। एक चोर के लिए नटराज अधिक कीमती था, लेकिन नंदी इन सबसे बहुमूल्य है, क्योंकि उसका इंश्योरेंस 30 करोड़ का है, केवल आपके लिए।”
मालविका अवाक रह गई, “मैंने? मैंने चुराया है?
“जी हाँ… आपने तिगुने उम्र वाले रईस व्यक्ति से दौलत की आस में शादी की, लेकिन आपको मुफलिसी के दरवाजे पर खड़ा एक बीमार आदमी मिला। आपने कोशिश की, कि एंटीक कलेक्शन की मूर्तियों को बेचकर चार पैसे आ जाएँ, पर उसमें भी कामयाब न हुईं और जान लिया कि देबीप्रसाद मरता मर जाएगा, लेकिन अपने कलेक्शन को हाथ नहीं लगाने देगा। आपके सामने केवल एक ही रास्ता था, कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। जब मूर्ति चोरी ही हो जाएगी तो बूढ़ा क्या सकेगा, और इंश्योसेंस से 30 करोड़ भी मिलेंगे, जो काफी होंगे। लेकिन आप भूल गईं कि नटराज को छोड़कर नंदी वही चुरा सकता है, जिसे इंश्योसेंस स्टेटस का पता हो।”
“शटअप इंस्पेक्टर!” देवीप्रसाद चीखा, और उसे खांसी का दौरा पड़ गया। मालविका अंदर गई और उसके लिए इनहेलर ले आई, कहा “‘शांत हो जाइए, आप शांत हो जाइए।”
“मैं ठीक हूँ…” देवीप्रसाद ने मुँह में इनहेलर लगाकर एक-दो लंबी साँस भरी। कुछ क्षण रुककर धीमी आवाज़ में कहा, “मैं ठीक हूँ… । इंस्पेक्टर… क्या नाम है तुम्हारा… अनिल शर्मा… यही है तुम्हारी तहकीकात? यही तरीका है मुजरिम को पकड़ने का? जिसने रिपोर्ट की, उसे ही थाने में डाल दिया, और लग गए मुजरिम साबित करने… क्योंकि असली चोर को पकड़ने में मशक्कत है, जाँमारी करनी पड़ेगी… क्यों? सही कह रहा हूँ न।
“मिसाल के तौर पर यही नंदी की बात लो…, चूँकि वह मेरे घर से गायब हुआ है… आपकी तहकीकात का तरीका यही कहता है न कि उस पर शक करो जिसके पास चुराने का मौका है… जिसे उस चोरी से फायदा होने वाला है। तो साहब, वह मेरी मिल्कियत है, मेरे पजेशन में है, तो जितना मौका मुझे हासिल है, उतना दुनिया में किसी को नहीं, तो क्या इससे आप मुझ पर शक करेंगे? आपकी तहकीकात कहती है कि चोरी से लाभ मुझे मिलने की संभावना है, लेकिन यूँ तो लाभ मिलने की कुछ न कुछ संभावना हर किसी को है… मिसाल के तौर पर यदि आपने.. जी हाँ.. आपने चोरी की है, तो तीस लाख के लाभार्थी आप हुए न… । इस लिहाज से यहाँ मौजूद आदमी चोर हो सकता है। वैसे तो हर आदमी पैसे का ख्वाहिशमंद होता है, तो क्या उन्हें हर चोरी या गुनाह के लिए संदिग्ध ठहराना उचित होगा?
“तुम मालविका के बारे में जानते ही क्या हो? उसने मुझे उस समय सहारा दिया जब मैं अपनी जिंदगी को लेकर नाउम्मीद हो चुका था। वह मेरे लिए क्या मायने रखती है, मुझे किसी से बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन तुम नहीं समझोगे… तुम्हारे लिए बूढ़ा मतलब हमेशा हवस का मारा और औरत हमेशा लालची और धोखेबाज होती है। शायद तुम्हें यही मानने की ट्रेनिंग दी गई है। प्यार, त्याग, सेवा, वफा और कमिटमेंट जैसे लफ़्जों से तुम्हारा क्या वास्ता? जिस दिन अपनी ट्रेनिंग में इन लफ़्जों को शामिल कर लोगे, उस दिन लोगों की नजरों में पुलिस की छवि बदल जाएगी।
“तो… अब आप ही बताएँ.. कौन चोर हो सकता है….. हमें कैसे तहकीकात करनी चाहिए?” अशोक शर्मा हड़बड़ाया।
“यही तो मैं समझा रहा हूँ, कि चोर वह नहीं जिसे मौका हासिल है या जिसे फायदा हो सकता है, बल्कि वह होता है जिसने सचमुच चोरी की है। जाओ, बिल्डिंग का सीसीटीवी देखो… पड़ोसियों से पूछताछ करो। एंटीक बाजार में अपने जासूस तैनात करो। मुखबिरों को एलर्ट करो। बेशक तलाशी लो, बरामदगी करो। यदि इसमें मेरी या मेरी पत्नी के इनवॉल्वमेंट का सबूत मिले, तो सबूत के साथ बात करो। यूँ ड्राइंगरूम में बैठकर अटकलबाजी कर केस सॉल्व करने का दावा न करो। और हाँ, पुलिस को फोन कर बुलाने वाला व्यक्ति पीड़ित होता है, दया का मरहम चाहता है, उसके साथ सहानुभूति और विश्वास के साथ पेश आओगे तो तहकीकात जरूर कामयाब होगी। और हाँ, अपना जनरल नॉलेज अपडेट कर लो। भले ही झारखंड राज्य 2000 में बना, पर इस खान बहुल इलाके को बहुत पहले से झारखंड के नाम से जाना जाता है, इस नाम के आधार पर झारखंड पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा काफी अरसे से अपनी राजनीति करती आ रही हैं।”
बाहर आकर धर्मपाल ने अनिल शर्मा से पूछा, “सर, ये बूढ़ा क्या कह गया?”
“कह रहा कि यह केस इतनी आसानी से सॉल्व नहीं होने का… भगवान नंदी हमारी परेड करवाने पर तुले हैं। हो सकता है शहर के अन्य एंटीक जानकारों की मदद लेनी पड़े। फिलहाल मैं सुबह सर्च वारंट लेकर आता हूँ। तब तक तू इस फ़्लैट पर नजर रखने का इंतजाम कर। हम इतने जल्दी सुधर थोड़े ही सकते हैं।”
“बेहतर जनाब।” धर्मपाल ने कहा, और दोनों हँस पड़े।