डॉ. महेंद्र सिंह राजपुरोहित पशु चिकित्सक हैं। घोड़ों का इलाज करते हैं। लेकिन, इस बार अफीम की पिनक में उन्होंने घोड़ों की खेती कर डाली है। आप भी होली के माहौल में आनंद लीजिए, इस पिनक का और पढ़िए घोड़ों की खेती। मारवाड़ में अफ़ीम का नशा नशा नहीं, एक शान है। अफ़ीम को बहुत […]
1 लाला हंसराज से मेरी पहले-पहल जान-पहचान सन् 1924 ई० में हुई थी। उन दिनों विश्वविद्यालय की परीक्षा में पास होकर मैं अभी बाहर निकला ही था। रुपये-पैसे की कुछ कमी तो थी नहीं। पिताजी जो रुपया बैंक में जमा कर गए थे, उसके सूद से हिंदू होटल में शिष्ट शिक्षित मनुष्य की तरह रहकर […]
अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूं शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाडक़र एक ढेर बना दिया। बाहर आते-आते उसने फिर एक बार और खप्पर में झांककर देखा, जैसे यह जानने के लिए कि इतनी देर में कितनी […]
बयान – 1 अब हम अपने किस्से को फिर उसी जगह से शुरू करते हैं जब रोहतासगढ़ किले के अंदर लाली को साथ लेकर किशोरी सेंध की राह उस अजायबघर में घुसी जिसका ताला हमेशा बंद रहता था और दरवाजे पर बराबर पहरा पड़ा रहता था। हम पहले लिख आए हैं कि जब लाली और […]
रंगमंच का परदा गिर गया। तारा देवी ने शकुंतला का पार्ट खेलकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया था। जिस वक्त वह शकुंतला के रुप में राजा दुष्यन्त के सम्मुख खड़ी ग्लानि, वेदना, और तिरस्कार से उत्तेजित भावों को आग्नेय शब्दों में प्रकट कर रही थी, दर्शक-वृन्द शिष्टता के नियमों की उपेक्षा करके मंच की ओर […]
बयान 11 इसके बाद लाली ने दबी जुबान से किशोरी को कुछ समझाया और दो घंटे में फिर मिलने का वादा करके वहां से चली गयी। हम ऊपर कई दफे लिख आये हैं कि उस बाग में जिसमें किशोरी रहती थी एक तरफ ऐसी इमारत है जिसके दरवाजे पर बराबर ताला बंद रहता है और […]
प्रयाग-विश्वविद्यालय के अंडरग्रेजुएट के लिये डाक्टरी या वकालत के सदृश समय और धन-सापेक्ष व्यवसायों के सिवा नौकरी में नायब तहसीलदारी वा सब-रजिस्ट्रारी के पद ही अधिक आकर्षण रखते हैं; पर उनकी प्राप्ति के लिये विद्या से बढ़कर सिफारिश की जरूरत है। पिता के मित्र सूबेदार नन्हेसिंह से जब मैं मिला, तब उन्होंने दुःख प्रकाश करते […]
“खाना बन गया??”- दरवाजा खुलते ही वो तेजी से भीतर दाखिल होकर वह गुर्राया। “न….नहीं”- सीमा सहमी सी बोली। “इतनी देर हो गयी? क्या घास छीलती रहती हो दिन भर? या शृंगार करती रहती हो? कोई काम होता है तुमसे? तुम्हे पता है मुझे कितना काम करना होता है?” वह दहाड़ा। “पर…” उसने कुछ कहना […]
छोटे मन की कच्ची धूप कहानी में उमा के संघर्षपूर्ण एवं साहसी जीवन की घटनाओं को उभारने का प्रयास कहानी लेखिका ने किया है। उमा का पति एक दिन हवाई जहाज की दुर्घटना में मर जाता है। तब उमा अपने बच्चों को लेकर किस प्रकार जीवन निर्वाह करती है, यही इस कहानी का मुख्य विषय […]