राजा रिपुदमनबहादुर उत्तरी ध्रुव को जीत कर योरुप के नगर-नगर से बधाइयाँ लेते हुए हिन्दुस्तान आ रहे हैं। यह ख़बर अख़बारों ने पहले सफ़े पर मोटे अक्षरों में छापी। उर्मिला ने ख़बर पढ़ी और पास पालने में सोते शिशु का चुम्बन लिया। अगले दिन पत्रों ने बताया कि योरुप के तट एथेन्स से हवाई जहाज़ […]
“पापा ने कहा है कि अगर मैं उनकी पसंद के लड़के से शादी नहीं करूंगी तो वे अपनी जान दे देंगे। मैं अपने पापा के मौत की वज़ह नहीं बनना चाहती। मुझे माफ़ कर देना विक्रम। मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगी और तुम्हारे सिवा किसी और को कभी प्यार भी नहीं कर पाऊंगी।” अंशुमालिका […]
“क्या लाऊँ, साहब?” बड़ी ही नम्रता से उसने पूछा. मैने सुबह के अखबार पर नज़र गड़ाए हुए ही कहा, “चाय…. एक चाय ले आओ, और हाँ, जरा कड़क रखना.” वह फुर्ती से चला गया. कई घण्टे लगातार काम करने से उत्पन्न तनाव और दिसंबर की ठिठुरन के चलते मैं आफिस से निकलकर सीधा चाय के […]
गाँव के बाहर एक बूढ़ा पीपल का पेड़ खड़ा था। कितनी उम्र थी उसकी, ठीक-ठीक कोई नहीं बता सकता। बड़े-बूढ़े कहा करते थे, वह पेड़ गाँव के बसने के समय भी इतना ही बड़ा, ऐसा ही घना और ऐसा ही था, जैसा आज है। उसी पेड़ से उस गाँव का नाम भी पिपरा था। प्राचीनता […]
चैत का महीना था, लेकिन वे खलियान, जहाँ अनाज की ढेरियाँ लगी रहती थीं, पशुओं के शरणास्थल बने हुए थे; जहाँ घरों से फाग और बसन्त का अलाप सुनाई पड़ता, वहाँ आज भाग्य का रोना था। सारा चौमासा बीत गया, पानी की एक बूँद न गिरी। जेठ में एक बार मूसलाधार वृष्टि हुई थी, किसान […]
1 सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी तरफ देखकर पूछा—क्या नाम है? लड़की ने जवाब दिया—रोहिणी। सेठ जी ने उसे गोद में उठा लिया और बोले—तुम्हें कुछ इनाम मिला? लड़की ने […]
“भाई ये बिजली के गलत बिल कौन साहब ठीक करते हैं ?” “क्या काम है ?” “मैं एक किराए के कमरे में रहता हूँ ।कमरे में बिजली के नाम पर एक पंखा और एक बल्ब है| इन दो चीजों का बिल इस महीने ‘ दस हज़ार ‘ आया ! इसी सिलसिले में साहब से मिलना […]
गुड़िया बहुत छोटी थी। सिर्फ़ छह बरस की। उसकी माँ सुनीता दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा करती थी। वो अपनी माँ के साथ हो लिया करती थी। उसे टीवी देखने का बहुत शौक था। जिस घर में भी उसकी माँ काम करती, उतनी देर वो वहां बैठकर टीवी देख लेती थी। उतने में मगर […]
(सच्ची घटना से आंशिक प्रेरित) हर्षिता जंगले से बाहर बारिश होती देख रही थी। उसने अपना हाथ बाहर निकाला, बहुत चेष्टा करने के बावजूद भी वो होती बारिश पर ऊँगली न छुआ सकी। उसकी साथ वाली ने रुखाई से पूछा “क्या हुआ? क्या कर रही है?” हर्षिता ने कोई जवाब नहीं दिया। बस सोचने लगी। […]