श्रीयुत गोलमिर्चफोरनदास भट्टाचार्य आजकल बड़े आदमी गिने जाते हैं. पहले कॉलेज में हमलोग नित्य इनका नवीन नामकरण संस्कार करते थे; लेकिन अब उन्होंने खुद अपना एक विकटाकार नाम रख लिया है. तब से हम लोग भी अपने-अपने काम-धंधों में लग गए और उनका नामकरण बंद हो गया. अब वे भीमभंटा सिंह राव कुलकर्णी के नाम […]
लक्ष्मण मेघनाद की शक्ति से घायल पड़े थे। हनुमान उनकी प्राण-रक्षा के लिए हिमाचल प्रदेश से “संजीवनी” नाम की दवा ले कर लौट रहे थे कि अयोध्या के नाके पर पकड़ लिए गए। पकड़ने वाले नाकेदार को पीटकर हनुमान ने लेटा दिया। राजधानी में हल्ला हो गया कि बड़ा “बलशाली” स्मगलर आया हुआ है। पूरा फ़ोर्स भी उसका मुकाबला नहीं कर पा रहा है। आखिर भरत और शत्रुघ्न […]
बरात में जाना कई कारणों से टालता हूँ. मंगल कार्यों में हम जैसे चढ़ी उम्र के कुँवारों का जाना अपशकुन है. महेश बाबू का कहना है, हमें मंगल कार्यों से विधवाओं की तरह ही दूर रहना चाहिए. किसी का अमंगल अपने कारण क्यों हो ! उन्हें पछतावा है कि तीन साल पहले जिनकी शादी में […]
अरसा काफी लंबा गुजर चुका था. सिंदबाद के मन में यह लहर बार-बार दौड़ रही थी कि वह अपनी तिजारत को हिन्दुस्तान तक फैला दे. उसने एक दिन तय कर ही लिया कि वह हिन्दुस्तान जाएगा. उसने अपनी गठरियों में तिजारती सामान बाँध लिया. वह बसरा के लिए रवाना होने ही वाला था कि उसके […]
शुरू करता हूँ गणपति गणेश उर्फ़ अपने अल्ला मियाँ के नाम से, जिसने बनाया एक नन्हा सा शहर बरेली और उसमें फिट कर दिया मिर्ज़ा चोया को. हमें बचपन के मिर्ज़ा चोया और होली की मिली-जुली याद आती है तो हंसी छूट जाती है. उन दिनों हमारा भरपूर बचपन था और मिर्ज़ा चोया की जवानी. […]
आँख मुलमुल…गाल…गुलगुल…बदन थुलथुल, मगर आवाज बुलबुल ! वे मात्र वन पीस तहमद में लिपटे, स्टूल पर उकडूं बैठे, बीड़ी का टोटा सार्थक कर रहे थे ! रह-रह कर अंगुलियों पर कुछ गिन लेते और बीड़ी का सूंटा फेफड़ों तक खींच डालते थे! जहां वे बैठे थे वहाँ कच्ची पीली ईंट का टीन से ढका भैंसों […]
इस देश के तमाम लोगों की तरह मुझे भी यकीन हो रहा है कि इस देश के भविष्य का निर्माण करने का काम सिर्फ फिल्मों का है। जैसा संदेश लोगों में पहुँचाना हो, वैसी फिल्म बनाकर लोगों को दिखला दीजिए – बस, दुनिया अपने-आप बदलती चली जाएगी। इधर जैसे ही मुझे फिल्मों के जरिए यह […]
किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची. हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था. कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक मुंडन हो गया था. सदस्यों में कानाफूसी हो रही थी कि […]
धर्मराज लाखों वर्षो से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग और नरक में निवास-स्थान अलाट करते आ रहे थे.पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर देख रहे थे.गलती पकड में ही नहीं आ रही थी. आखिर उन्होंने खीझकर रजिस्टर इतनी […]