खूनी औरत का सात खून – प्रथम परिच्छेद
घोर विपत्ति! “आकाशमुत्पततु गच्छतु वा दिगन्त- मम्बोनिधिं विशतु तिष्ठतु वा यथेच्छम्॥ जन्मान्तरा S र्जितशुभाSशुभकृन्नराणां, छायेव न त्यजति कर्मफलाSनुबन्धः॥“ (नीतिमंजरी) दुलारी मेरा नाम है और सात-सात खून करने के अपराध में इस समय में जेलखाने में पड़ी-पड़ी सड़ रही हूं। मैं जाति की ब्राह्मणी पर कौन सी ब्राह्मणी हूँ,यह बात अब […]