हां , एक फंदा बनाया है मैने, ये मजबूत है इतना जितना उद्विग्न मैं और जितनी अल्प मेरी जिजीविषा आंसू धुली आंखों से देख रहा हूं मैं ऐसा ही एक फंदा डोरी से बना, थोड़ा छोटा मां ने अंगुली में, इसे है रख लपेटा दूजा छोर इसका मेरे झूले […]
मेरे पंख रंग-बिरंगे, थोड़े बेजान जरा खुले, जरा बंद जैसे मेरा मन मेरा मन थका सा, थोड़ा टूटा कसक से ठिठकता, परतों में जैसे मेरी हँसी मेरी हँसी जग को खिलखिलाती खुद में मायूस, मगर मुसकाती जैसे मेरे नयन मेरे नयन सब कुछ देख, सब कुछ नकारते […]