आपने गैंग ऑफ वासेपुर, शॉशांक रिडेम्पशन, डार्क नाईट – बैटमैन सीरीज, फारेस्ट गंप, शोले, मिर्जापुर, ये मेरी फैमिली, सेक्रेड गेम्स, कोटा फैक्ट्री, पिचर्स आदि आदि देखा होगा। अब आप पूछेंगे कि प्लेटफॉर्म लेखकों के लिए है, बात किताबों या लेखकों की होनी चाहिए लेकिन मुझे उम्मीद है कि आज की जनरेशन किताब पढ़ने से ज्यादा […]
आपने कई बार ऐसी पुस्तकें देखी होंगी जिनके अंत में लेखक ने अपने उस पुस्तक के लिए किये गए रिसर्च वर्क के लिए दूसरी पुस्तकों और संस्थाओं को क्रेडिट दिया होता है। वहीँ कुछ लेखक ऐसे भी होते हैं कि दिमाग में आईडिया आया और लिखने बैठ गए। लेखकों को उनके लिखने के तरीके से […]
अध्याय १३ : ठाकुरबाड़ी सबेरा हो गया है लेकिन अभी तक कहीं-कहीं अँधेरा है। इसी समय “सियाराम” – “सियाराम” कहकर प्रसिद्ध पुण्यात्मा हीरासिंह ने चारपाई से उठकर जमीन पर पैर रक्खा। वह इधर-उधर घूमकर एक पत्थर की वेदी के पास आ खड़ा हुआ। देखा वेदी पर भोलाराय
कोन्फ्लिक्ट (टकराव/संघर्ष) एक क्राइम उपन्यास या कहानी में ‘सस्पेंस’ का होना बहुत जरूरी होता है। इसे आप अपराध गल्प कथाओं का प्रमुख तत्व भी कह सकते हैं। नए लेखकों के लिए ‘अपराध गल्प कथा’ में सस्पेन्स डालना उतना आसान नही रहता है, हालांकि उनकी कोशिश पुरजोर रहती है
अध्याय १२ : गंगा की धारा छठ की रात तीन घड़ी बीत गयी है। डोरा के पास जंगल की नाहर से एक छोटी सी नाव निकलकर गंगा जी में आई। हीरासिंह के डाकुओं में से अबिलाख बिन्द, सागर पांडे, बुद्धन मुसहर तथा और दो आदमी उस पर सवार हैं। सागर पांडे ने जम्हाई ली और […]
प्राइवेट डिटेक्शन एडगर एलन पो को कई लोग ‘क्राइम फिक्शन का जनक’ तो कई ‘ डिटेक्शन फिक्शन का पिता’ कहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने तर्कसंगत विश्लेषण का प्रयोग करते हुए,
पुलिस प्रशासन एवं डिटेक्टिव्स एक क्राइम फिक्शन कहानी के लिए क्या-क्या चीजें चाहिये – अपराध, अपराधी, मकतूल, डिटेक्टिव या पुलिस ऑफिसर। ब्रिटेन और अमेरिका के शुरुआती दौर (18 वीं शताब्दी) के क्राइम-फिक्शन कहानियों में पुलिस और डिटेक्टिव्स का कहीं भी इस्तेमाल होता नही दिखाया जाता है। 19वीं सदी के आरंभ तक भी,
#amwriting लेखन के विधा में वैसे तो कुछ भी स्टेटिक नहीं है, नियम बनते एवं बदलते रहते हैं। कई लेखक अपने नियम बनाते हैं तो कई दूसरों के नियमों को फॉलो करते हैं। फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं, कुछ ऐसी गलतियाँ हैं,
अध्याय ८: हीरा सिंह का मकान हीरा सिंह एक बड़ा भारी जमींदार था। उसका धन-ऐश्वर्य अपार और दबदबा बेहद था। उन दिनों शाहाबाद जिले में उसकी जोड़ का कोई जमींदार नहीं था। हीरा सिंह दानी-मानी और आचारी था। सब तीर्थों में उसके बनाए मंदिर और बड़े-बड़े शहरों में उसकी कोठियां थी। वह मुरार में रहता […]