आज हृदय भर-भर आता है – शमशेर
आज हृदय भर-भर आता है, सारा जीवन रुक-सा जाता; वह आँखों में छाए जाते कुछ भी देख नहीं मैं पाता ! कौन पाप हैं पूर्व-जन्म के, जिनका मुझको फल मिलता है? मैंने नगर जलाए होंगे, जो मेरा सब तन जलता है ! पथ नदियों के मोड़े होंगे, देश-देश तरसाया होगा, […]