जब तक उसने अपने ताबूत में 2 कीलें न ठोक ली तब तक उसकी बारी नहीं आयी। एकॉर्ड को कम से कम 4 पुलिसियों ने घेर लिया। चूंकि वह बिल्कुल बायीं लेन में था इसलिए उसने अपने दाएं तरफ देखा तो पाया कि पुलिस वाले बिल्कुल भुस में सुई खोजने की तरह गाड़ीयों की तलाशी […]
आपने गैंग ऑफ वासेपुर, शॉशांक रिडेम्पशन, डार्क नाईट – बैटमैन सीरीज, फारेस्ट गंप, शोले, मिर्जापुर, ये मेरी फैमिली, सेक्रेड गेम्स, कोटा फैक्ट्री, पिचर्स आदि आदि देखा होगा। अब आप पूछेंगे कि प्लेटफॉर्म लेखकों के लिए है, बात किताबों या लेखकों की होनी चाहिए लेकिन मुझे उम्मीद है कि आज की जनरेशन किताब पढ़ने से ज्यादा […]
उस उमस एवं गर्मी के मई के महीने में, शाम 5 बजे ,सुब्रोजित बासु उर्फ मिकी, तीसरे कत्ल की तैयारी कर रहा था। कत्ल करते रहना कितना खतरनाक हो सकता था, उसे इस बात का पूरी तरह एहसास था। जरा सी गड़बड़ से उसकी जान पर बन आ सकती थी। लिहाजा हमेशा की तरह सोच-समझकर, […]
आपने कई बार ऐसी पुस्तकें देखी होंगी जिनके अंत में लेखक ने अपने उस पुस्तक के लिए किये गए रिसर्च वर्क के लिए दूसरी पुस्तकों और संस्थाओं को क्रेडिट दिया होता है। वहीँ कुछ लेखक ऐसे भी होते हैं कि दिमाग में आईडिया आया और लिखने बैठ गए। लेखकों को उनके लिखने के तरीके से […]
सस्पेंस के लिए चार जरूरी कारक हैं – पाठकों की सहानुभूति, पाठकों की चिंता, करीब से करीबतर खतरे और बढ़ता तनाव। पाठकों की सहानुभूति हासिल करने के लिए किरदार को महत्वाकांक्षा, इच्छा, घाव, आंतरिक संघर्ष आदि भावों का गहना पहना सकते हैं, जिससे पाठक उनके साथ जुड़ाव महसूस करे। जितना अधिक पाठक और किरदार के […]
कोन्फ्लिक्ट (टकराव/संघर्ष) एक क्राइम उपन्यास या कहानी में ‘सस्पेंस’ का होना बहुत जरूरी होता है। इसे आप अपराध गल्प कथाओं का प्रमुख तत्व भी कह सकते हैं। नए लेखकों के लिए ‘अपराध गल्प कथा’ में सस्पेन्स डालना उतना आसान नही रहता है, हालांकि उनकी कोशिश पुरजोर रहती है
#amwriting लेखन के विधा में वैसे तो कुछ भी स्टेटिक नहीं है, नियम बनते एवं बदलते रहते हैं। कई लेखक अपने नियम बनाते हैं तो कई दूसरों के नियमों को फॉलो करते हैं। फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं, कुछ ऐसी गलतियाँ हैं,
‘द न्यूगेट कैलेंडर’ के ब्योरे से लेखन तक जहां विश्व पटल पर शरलॉक होल्म्स किरदार ने विश्व-विख्यात ख्याति पायी, वहीं ‘द न्यूगेट कैलेंडर’ को दुनिया ने भुला दिया। सबसे ज्यादा रुचिकर यह है कि इसका नाम ‘द न्यूगेट कैलेंडर’ ही क्यूं पड़ा – एक्चुअली लंदन में उस जेल का नाम ‘न्यूगेट प्रिजन’ था, जहां
‘शो, डोंट टेल’ अंतराष्ट्रीय स्तर पर ‘शो, डोंट टेल’ एक टूल के रूप में लेखकों का पसंदीदा टूल बन चुका है। आप इस टूल के बारे में बात करते हुए कई लेखकों को पढ़ एवं सुन सकते हैं। वैसे यह जानना रुचिकर होगा,