‘शो, डोंट टेल’
‘शो, डोंट टेल’ अंतराष्ट्रीय स्तर पर ‘शो, डोंट टेल’ एक टूल के रूप में लेखकों का पसंदीदा टूल बन चुका है। आप इस टूल के बारे में बात करते हुए कई लेखकों को पढ़ एवं सुन सकते हैं। वैसे यह जानना रुचिकर होगा,
‘शो, डोंट टेल’ अंतराष्ट्रीय स्तर पर ‘शो, डोंट टेल’ एक टूल के रूप में लेखकों का पसंदीदा टूल बन चुका है। आप इस टूल के बारे में बात करते हुए कई लेखकों को पढ़ एवं सुन सकते हैं। वैसे यह जानना रुचिकर होगा,
अध्याय ६: सलाह पार्वती उसी अटारी में पलंग पर बेहोश पड़ी है, हिलती है न डोलती है। विधवा बहु उसके पास बैठी सेवा-शुश्रूषा करती है। मुंशी जी दालान में बैठकर ससुर जी के जख्मों पर जल में भिंगो-भिंगो कर पट्टी बाँध रहे हैं। दलीप सिंह सीढ़ी के नीचे खड़ा होकर […]
कई बार, किसी लेख, किसी कहानी, किसी उपन्यास को लिखने के दौरान, लेखक खुद में ही नहीं रहता।