मई की मिस्ट्री- चौथे स्थान पर चयनित हल
मैंने फ्रेड से कहा, “तुम्हें पहले से ही पता था कि कातिल कौन है?”
“नहीं सर, पर इनके बयान दोबारा सुनने के बाद मुझे यकीन है कि मैं कातिल को अभी सामने ला सकता हूँ। बस मुझे इन लोगो से कुछ सवाल फिर से पूछने पड़ेंगे।“, कहते कहते फ्रेड ने एक कागज पर कुछ लिख कर एक हवलदार को दे दिया, जिसे पढ़ते ही वह कमरे से बाहर चला गया। फिर फ्रेड लिली से मुखातिब हुआ, “तुम और टोनी एक साथ इस कमरे में आए थे?”
“जी साहब, हम दोनों लगभग एक साथ पहुँचे थे।“, लिली के कहते ही टोनी भी अपना सर सहमति में हिलाने लगा।
“क्या ये दोनों लोग भी तुम्हारे साथ कमरे में पहुँचे थे?” फ्रेड ने जेसन और रईस खान की और इशारा करते हुए कहा।
उत्तर टोनी ने दिया, “सर, ये दोनों साहब ठीक हमारे पीछे पीछे ही कमरे के अंदर आए थे।“
फ्रेड अब रागिनी की और मुड़ा, “आप कहती है कि आपको इस कमरे कि लाइट जलती हुई दिखी थी, और कमरे का दरवाज़ा खुला था?”
“जी हा, आप यही सवाल तीसरी बार पूछ रहे है, क्या आपको लगता है कि मैंने अपने चाचा का कत्ल किया है?” तनिक झल्लाते हुए रागिनी ने उत्तर दिया।
“और आपके अनुसार आप कमरे में सूर्योदय का ख़ूबसूरत नज़ारा देखने की नियत से आई थी, पर अंदर आकर आपको चाचा जी की लाश दिखी।“, फ्रेड ने रागिनी के प्रश्न को नजरअंदाज करते हुए अपना दूसरा सवाल किया।
“मेरा बयान लिखित रूप में आपके पास है, फिर से पढ़ लीजिए, आपको पता चल जाएगा कि मैंने क्या कहा था।“, इस बार रागिनी के स्वर में क्रोध साफ़ झलक रहा था। फिर उसने मुझसे कहा, “आप क्या अपने इंस्पैक्टर को फ़िजूल सवाल करने से रोक नहीं सकते?”
मैं फ्रेड को रोकने ही जा रहा था कि मेरे दिमाग में जैसे एक बिजली सी कौंध गई। तभी एक हवलदार अंदर आकर फ्रेड के कान में कुछ कहने लगा था। मैंने रागिनी से कहा, “मैडम, मेरी यही सलाह है कि आप फ्रेड के सवाल का उत्तर दीजिए, ताकि वह कातिल को बेनकाब कर सके।“
“ठीक है, पर याद रखिएगा कि यह बदतमीज़ी आपको महँगी पड़ेगी।“, कहते हुए रागिनी फ्रेड की तरफ मुड़ी और कहा, “हाँ, मैं सूर्योदय देखने कमरे में आई थी, अब क्या यह भी एक गुनाह है?”
फ्रेड ने एक गुप्त इशारा किया तो एक लेडी हवलदार अंदर आ गई। “जी सूर्योदय देखना तो गुनाह नहीं है, पर अपने चाचा की हत्या करना अवश्य गुनाह है। आपको अपने चाचा की हत्या के जुर्म में गिरफ़्तार किया जाता है।“ फ्रेड के इतना कहते ही लेडी हवलदार ने आगे बढ़ कर रागिनी का हाथ पकड़ लिया। रागिनी क्रोध में आगबबूला होते हुए चिल्लाई, “यह क्या बेहूदा मज़ाक है? आपको सच में अपनी नौकरी प्यारी नहीं है, वारना बिना किसी सबूत के आप मुझे ऐसे गिरफ़्तार नहीं करते।“
फ्रेड ने मुस्कराते हुए कहा, “जी, मुझे अपनी नौकरी बहुत प्यारी है, और इसीलिए सबूत इकट्ठा होने के बाद ही आपको गिरफ़्तार किया है।“
“क्या सबूत है आपके पास?” रागिनी के स्वर से अंगारे बरस रहे थे।
“जी कुछ सबूत अभी है, और कुछ के बारे में उम्मीद है कि जल्द ही मिल जाएँगे। सबसे बड़ा सबूत तो आपका अपना बयान है, जिसके अनुसार आप पश्चिम की तरफ खुलने वाली खिड़की में सूर्योदय का नज़ारा देख रही थी। फिर हमें वह पानी की बोतल भी मिल गई जो लिली ने रात को आपके कमरे में रखी थी। आपने अपने नीचे आने का कारण प्यास बताने के लिए उस बोतल को बाथरूम में रख दिया था। हमें यकीन है कि उसपर आपकी उँगलियों के निशान मिल जाएँगे। फिर बाथरूम की अच्छे से तलाशी लेने पर फ़्लश की टंकी से साइलैंसर लगी रिवाल्वर भी बरामद हो गई। शायद उसपर भी आपकी उँगलियों के निशान मिल जाएँगे। यदि ना भी मिले, तो भी आपके हाथों का पेराफिन टेस्ट करवाने पर हमें पता चल जाएगा कि आपने हाल ही में गोली चलाई है।“
“पर मैं अपने सगे चाचा को क्यों मारूँगी?” अब रागिनी का स्वर रुवांसा हो चुका था।
“जी इसका उत्तर भी हमें मिल चुका है। मिस्टर कसाना के बारे में पूछताछ से हमें पता चला कि उन्हें अपने भाई द्वारा किए जा रहे पैसों के हेर फेर का पता चल चुका था। वह अपने भाई पर किसी प्रकार का मुकदमा नहीं करना चाहते थे, पर अपनी वसीयत बदल कर उन्हें अपनी जायदाद से बेदख़ल ज़रूर करने जा रहे थे। आपको किसी तरह यह बात पता चल गई, और आपने यहाँ आकर उनकी हत्या कर दी।“
रागिनी का चेहरा उतर चुका था। लगता था वह अंदर से टूट चुकी है। फ्रेड ने अपनी बात जारी करते हुए कहा, “आपको शायद नहीं पता कि आपके चाचा जी अपनी वसीयत बदल चुके थे। और आपको यह जान कर शायद अपने किए पर पछतावा हो, कि नयी वसीयत के अनुसार उनकी उत्तराधिकारी आप थी। कसाना जी की अपनी कोई संतान नहीं थी, भाई से मिले धोखे ने उन्हें गुस्सा तो दिलाया, पर परिवार के प्रति जिम्मेदारी को कम नहीं किया। भाई के ऊपर कोई मुकदमा ना करना इस बात का सबूत है। फिर उन्हें गुस्सा अपने भाई पर था, भतीजी पर नहीं। काश आप उनसे एक बार इस बारे में बात कर लेती।“
“चाचा जी, मुझे माफ़ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।“, रागिनी यह कहती हुई फूट फूट कर रोने लगी।
वापसी में मैंने फ्रेड से पूछा, “जब तुमने पहली बार रागिनी का बयान सुना, तभी यह सूर्योदय वाली बात क्यों नहीं पकड़ी?”
“सर इस बात का मुझे भी अफ़सोस है कि इस बात पर मेरा ध्यान पहले नहीं गया। जब दूसरी बार वह अपना बयान दोहरा रही थी, तभी खिड़की से बाहर सूर्यास्त का नज़ारा दिखाई दे रहा था। उसी सूर्यास्त ने रागिनी के झूठ का भी सूर्यास्त कर दिया।“
मैं भी सूर्योदय के बयान और सूर्यास्त ने नज़ारे के वक़्त वहीं था, पर इस तथ्य को पकड़ नहीं पाया था। मेरे किताबी ज्ञान के मुक़ाबले फ्रेड का अनुभवी ज्ञान अधिक कारगर साबित हुआ था।
तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत, हिंदी और अंग्रेजी पुस्तकों के शौकीन विनय पाण्डेय पिछले 30 वर्षों से सुरेन्द्र मोहन पाठक जी को पढ़ रहे है और उनके अनुसार, किताबों में उनकी रूचि पाठक जी को पढ़कर ही हुई है। जब पाठकजी की किताबें नहीं उपलब्ध थी, तो पढ़ने की आदत ने दूसरी किताबो की ओर आकर्षित किया। आज भी पाठकजी के नए उपन्यासों का बेसब्री से उन्तजार रहता है। पुस्तको के अलावा उनकी रूचि कॉमिक्स में भी है। हिंदी और अंग्रेजी भारतीय कॉमिक्स के रिव्यू इनकी सोशल नेटवर्किंग वाल पर अक्सर पोस्ट होती है। उन्हें छोटी छोटी कहानियां लिखने का भी शौक है। फेसबुक पर तुषा ( www.facebook.com/tushaonline ) के नाम से एक पेज पर वह अपनी लिखी कहानियाँ पोस्ट करते रहते है।