किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची. हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था. कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक मुंडन हो गया था. सदस्यों में कानाफूसी हो रही थी कि […]
धर्मराज लाखों वर्षो से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग और नरक में निवास-स्थान अलाट करते आ रहे थे.पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर देख रहे थे.गलती पकड में ही नहीं आ रही थी. आखिर उन्होंने खीझकर रजिस्टर इतनी […]
आखिर को लैला की माँ ने मंजूर कर लिया, कहा – “अब लैला को मजनू के हाथ ही सौंप दूँगी!” सुननेवाले इस समाचार से खुश हो गए। लोगों ने लैला की माँ को बधाइयाँ दीं। मजनू बेचारा कितनी मुद्दत से लैला के पीछे तड़प रहा था। आशिकी के कारण इस दुनिया और उस दुनिया दोनों […]
शेखचिल्ली एक दिन अपने घर के सामने अहाते में बैठे भुने हुए चने खा रहे थे और साथ ही जल्दी-से-जल्दी अमीर बनने के सपने देख रहे थे. खुली आँखों से सपने देखते हुए कुछ चने खा रहे थे और कुछ नीचे गिरा रहे थे. संयोग से जमीन पर गिरे चने के दानों में एक दाना […]
अनाज की पैदावार बढ़ी या नहीं, यह तो ईश्वर जाने या महंगाई, मगर हाकिमों की पैदावार का क्या कहना. कोई ए.ओ., बी.ओ., सी.ओ. हैं तो कोई ए.बी.ओ., बी.सी.ओ., सी.डी.ओ. और न जाने कितने ‘ओ’ हैं कि अंग्रेज़ी वर्णमाला के भी होश गुम हैं कि अब ओ के साथ कौन से अक्षर जोड़े जाएँ. उस पर […]
वैज्ञानिक कहते हैं ,चाँद पर जीवन नहीं है. सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं- वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे ही मनुष्य की आबादी है. विज्ञान ने हमेशा इन्स्पेक्टर मातादीन से मात खाई है. फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ कहता रहता है- छुरे पर पाए गए निशान मुलजिम की […]
काज़ी गयासुद्दीन से पहली बार मैं कॉफ़ी हाउस में मिला था. मेरे एक दोस्त ने उनसे मेरा परिचय कराते हुए कहा, ‘इनसे मिलिये, यह काज़ी गयासुद्दीन हैं—प्रसिद्ध इतिहासकार.’ मैंने मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेरे दोस्त ने उचककर मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा, ‘यह क्या ग़ज़ब करते हो ! क्या तुम्हें नहीं मालूम […]
यह मैंने आज ही जाना कि जिस सड़क पर एक फुट धूल की परत चढ़ी हो, वह फिर भी पक्की सड़क कहला सकती है. पर मेरे दोस्त झूठ तो बोलेंगे नहीं. उन्होंने कहा था कि पक्की सड़क है, साइकिल उठाना, आराम से चले आना. धूल भी ऐसी-वैसी नहीं. मैदे की तरह बारीक होने के […]
एक बात मैं शुरु में ही कह दूँ. इस घटना का वर्णन करने से मेरी इच्छा यह हरगिज़ नहीं है कि इससे चचा छक्कन के स्वभाव के जिस अंग पर प्रकाश पड़ता है, उसके संबंध में आप कोई स्थाई राय निर्धारित कर लें. सच तो यह है कि चचा छक्कन से संबंधित इस प्रकार की […]