शरणदाता – अज्ञेय
‘‘यह कभी हो ही नहीं सकता, देविन्दरलालजी!’’ रफ़ीकुद्दीन वकील की वाणी में आग्रह था, चेहरे पर आग्रह के साथ चिन्ता और कुछ व्यथा का भाव। उन्होंने फिर दुहराया, ‘‘यह कभी नहीं हो सकता देविन्दरलालजी!’’ देविन्दरलालजी ने उनके इस आग्रह को जैसे कबूलते हुए, पर अपनी लाचारी जताते हुए कहा, ‘‘सब […]