मर्डर एट कान्डोलिम बीच
गोवा! मेरी वर्षों से यही तमन्ना रही थी कि मुझे भी कभी गोवा घूमने का मौका मिले। फिल्मों और तस्वीरों में देखकर एवं दोस्तों से सुनकर मन हमेशा लालायित रहता था। जब मैं दिल्ली में रहते हुए आईपीएस की तैयारी कर रहा था,तब मेरे दोस्त हर साल गोवा घूमने जाते थे। वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे,लेकिन मुझे उस वक़्त पढना था ,क्यूंकि मैं किस तरह से अपना ग्रेजुएशन कर पाया था यह मुझे बखूबी पता था। अपनी अथक मेहनत से आखिरकार, मैंने आईपीएस का एंट्रेंस और मेन दोनों ही तीसरे एटेम्पट में क्लियर कर लिया। जब पुलिस अकैडमी से ट्रेनिंग कम्पलीट करने के बाद, मेरे पास अपॉइंटमेंट और पोस्टिंग का लैटर आया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मैंने, इंदौर में अपने माता-पिता को इस बात की खबर दी, ताकि उन्हें पता चल सके कि उनके बेटे ने उनका सपना पूरा कर दिखाया था।
मैं २ साल से गोवा में ए.सी.पी. के पद पर काम कर रहा हूँ। गोवा को मूलतः बाहर से आने वाले लोग एक ही मानते होंगे ,लेकिन भौगौलिक दृष्टि से गोवा दो भागों में बंटा हुआ हैं – दक्षिणी गोवा और उत्तरी गोवा। मेरा क्षेत्र उत्तरी गोवा का है। गोवा में हमें जिस समस्या के साथ सबसे ज्यादा जूझना पड़ता है, वह है ,किसी पर्यटक के साथ हुआ अपराध। ऐसे अपराध में, हम लोगों के कस-बल निकल जाते हैं, क्यूंकि वह अपराध स्थानीय स्तर का रहने के बजाय,अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बन जाता है। अमूमन मुझे कभी फील्ड में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है ,लेकिन आज मैं कान्डोलिम बीच पर मौजूद उस पुर्तगाली विला की ओर बढ़ रहा था ,जिसका मालिक दिल्ली का एक राजनेता इन्द्रेश कसाना था। पुलिस कण्ट्रोल रूम को मिली खबर के अनुसार,सुबह लगभग 6:30 पर इन्द्रेश कसाना की भतीजी रागिनी कसाना ने पुलिस को यह खबर दी थी कि इन्द्रेश कसाना अपने कमरे में मृत पाए गए हैं।
इन्द्रेश कसाना दिल्ली की राजनीति का पुराना खिलाड़ी था। 15 वर्षों से वह,नांगलोई विधानसभा से निर्विरोध जीत रहा था। उसकी पैठ दिल्ली और केंद्र में बहुत अन्दर तक थी। अभी भी वह नांगलोई विधानसभा का तत्कालीन स्वतंत्र एम.एल.ए था लेकिन सरकार को उसकी सहमति प्राप्त थी। इन्द्रेश कसाना,सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि रियल स्टेट बिल्डर, कांट्रेक्टर भी था, लेकिन उसके ऐसे सभी काम उसके बड़े भाई, महेश कसाना देखते थे।
चूँकि, अपराध की खबर सुबह ही मिल चुकी थी, इसलिए कांडोलिम थाने से एक इंस्पेक्टर के साथ टीम घटनास्थल के लिए सुबह ही रवाना हो गयी थी। बाद में फॉरेंसिक टीम, पुलिस फोटोग्राफर आदि भी वहां पहुँच गए थे। जो इंस्पेक्टर मौकायेवारदात पर पहुंचा था ,उसने मुझे 11-12 बजे तक घटना का छोटा सा ब्यौरा फ़ोन पर ही सुना दिया था। मैं, ऑफिस में बैठा, नार्थ गोवा में बीती रात हुए कई अपराधों की रिपोर्ट देखने में लगा था की लगभग 3 बजे,मेरे ऑफिस के फ़ोन पर सीधा कमिश्नर ऑफिस से यह आदेश मिला कि इन्द्रेश कसाना के केस को खुद मुझे ही हैंडल करना पड़ेगा। यही कारण था कि मैं कांडोलिम बीच पर मौजूद पुर्तगाली विला के करीब पहुँच रहा था, जिसे उसका नाम “द सनसेट पॉइंट” उसके सबसे पहले पुर्तगाली मालिक ने दिया था जिसने उस विला को 1920 में बनाया था।
मैं लगभग 4 बजे विला में पहुंचा तो पाया कि वहां कांडोलिम थाने का इंस्पेक्टर फ्रेड हेडे केस का इन्वेस्टीगेशन कर रहा है। फ्रेड गोवा में ही जन्मा,यहीं पला-बढ़ा और यहीं शिक्षा प्राप्त करके पुलिस सर्विस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुआ था। उसने मुझे बताया कि इन्द्रेश कसाना की लाश विला के पिछले हिस्से में उनके रूम में पायी गयी थी। वे उस खिड़की के साथ लगे सोफे के सामने मरे पाए गए थे ,जिससे बाहर देखने पर बीच और समुद्र का नज़ारा होता है। फ्रेड ने मुझे एक २-३ पेपर थमा दिए जिस पर उसने गवाहों के बयानात हासिल किये थे। फ्रेड मुझे मौकायेवारदात तक ले कर गया तो मेरी पहली नज़र उस खिड़की से दिखते सूरज पर पड़ी ,जो धीरे-धीरे उस छोर की ओर बढ़ रहा था जहाँ आकाश और धरती एक दूसरे के साथ मिल जाते हैं। उस खिड़की से उस सनसेट को देखना, एक अलग ही एहसास था मेरे लिए। उस खिड़की के साथ एक सोफा लगा था | सोफे से एक कदम दूर फॉरेंसिक टीम द्वारा शरीर को रेखांकित करते हुए लाइनें खींच दी गयी थी। फॉरेंसिक टीम औरपुलिस फोटोग्राफ़र अपना काम करके जा चुके थे। उनका काम होने के बाद एक एम्बुलेंस में इन्द्रेश कसाना की लाश को पोस्टमॉर्टेम के लिए पणजी रवाना कर दिया गया था।
मैंने फ्रेड से पूछा – “फ्रेड, यह खिड़की क्या उस वक़्त खुली हुई थी ,जिस वक़्त मिस्टर कसाना की भतीजी ने उनकी लाश देखी?”
फ्रेड ने उत्तर दिया – “हाँ, सर! यह खिड़की खुली हुई थी। बाकी क्राइम सीन का पूरा ब्यौरा मैंने इस पेपर में शब्द-दर-शब्द उतार दिया है।”
“फ्रेड, तो क्या यह नहीं हो सकता कि किसी ने चोरी की गरज से इस खुली खिड़की से अन्दर घुसने की सफल कोशिश की हो और जब मिस्टर कसाना जग गए हों तो पकड़े जाने के डर से गोली मार दी हो?”
“सर, एक सम्भावना तो यह भी है। लेकिन इस सम्भावना में कई लूप-होल्स हैं।”
“वो क्या?”
“एक तो यही कि अमूमन चोर रिवाल्वर जैसे हथियार लेकर नहीं चलते। अगर वो चलें भी तो उनकी रिवाल्वर इतने ऊँचे स्तर की नहीं होती कि उसमे साइलेंसर लगा हो,क्यूंकि यहाँ किसी ने भी गोली चलने की आवाज़ नहीं सुनी।”
“हाँ, बात तो तुम्हारी ठीक है। क्या तुमने पता किया कि यहाँ कोई कीमती सामान गायब तो नहीं है?”
“हाँ, सर मैंने पता किया है। इस घर से ऐसा कोई कीमती सामान गायब नहीं है या ये भी कह सकता हूँ कि यहाँ कोई कीमती सामान था ही नहीं ,क्यूंकि मिस्टर कसाना इसे बस तब ही इस्तेमाल करते थे जब वे यहाँ तफरीह के लिए आते थे।”
“ओह! तो इसका मतलब है किसी घर के ही व्यक्ति ने मिस्टर कसाना की जान ली है।”
“सर, इसी बात की सम्भावना ज्यादा है। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि किसी ने मिस्टर कसाना की जान लेने के लिए कोई हत्यारा किराये पर उठाया हो।”
“तुम्हारा मतलब है कि मिस्टर कसाना की हत्या के लिए किसी ने सुपारी दी थी?”
“क्यों, सर क्या यह संभव नहीं है? मैंने दिल्ली में मौजूद एक कांटेक्ट से मिस्टर कसाना के बैकग्राउंड के बारे में पता लगाया है। वो एक मशहूर पॉलिटिशियन के साथ साथ रियल एस्टेट बिल्डर एंड कांट्रेक्टर भी थे। डू यू नॉट थिंक, इट कैन बी पॉसिबल?”
“यस, इट इज पॉसिबल, लेकिन हम उस पॉइंट पर बाद में आयेंगे ।पहले मैं घर के सदस्यों को टटोल लूँ।” मैं उसी सोफे पर बैठ गया और फ्रेड को कहा कि सभी सस्पेक्टस को इसी कमरे में बुला कर ले आये। फ्रेड ने एक हवालदार को यही आदेश दोहराया। फ्रेड ने मुझे बताया कि कल रात इन्द्रेश कसाना और उसके दो दोस्त, जैसन डीसिल्वा और रईस खान और उसकी भतीजी रागिनी कसाना ने यहाँ डिनर किया था। दोनों गेस्ट और उसकी भतीजी रात यही रुकने वाले थे। सुबह साढ़े 6 के करीब जब रागिनी कसाना पानी पीने के लिए नीचे आई और किचन से पानी पीकर जब वापिस इन्द्रेश कसाना के कमरे के सामने से निकल रही थी तो उसने अपने चाचा के कमरे का दरवाजा खुला पाया था और लाइट भी जल रही थी। वह जिज्ञासावश जब अन्दर घुसी तो अपने चाचा को मरे हुए पाया। फ्रेड ने बताया कि पूछताछ से यह पता चलता है कि मध्यरात्रि के बाद कुछ समय तक इन्द्रेश कसाना जीवित था, जब सभी सोने के लिए अपने अपने बिस्तर की तरफ गए थे। किसी ने रात में गोली चलने की आवाज़ नहीं सुनी थी। फ्रेड ने बताया कि इन मेहमानों के अलावा इस विला में एक फुल टाइम कुक टोनी परेरा और एक नौकरानी लिली डीआस भी है।
मैंने देखा कि सभी उस कमरे में पहुँच चुके थे। सभी के चेहरे पर फटकार बरस रही थी। रागिनी कसाना की आँखों में सूजन थी, जिससे साफ़ पता चलता था कि उसको अपने चाचा की आकस्मिक मृत्यु पर बहुत आघात पहुंचा था।
जैसन डीसिल्वा ने आगे बढ़ कर मुझसे हाथ मिलाया। मैंने उसे तत्काल पहचान लिया।वह गोवा में विपक्षी पार्टी का मुखिया था और एम.एल.ए. भी। उसने मेरा तार्रुफ़ रईस खान से कराया,तो मुझे याद आया कि 2-3 साल पहले उसे मुंबई में स्मगलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था। जैसन डीसिल्वा ने मुझे रागिनी कसाना का परिचय दिया तो मैंने उसके चाचा की आकस्मिक मौत पर सांत्वना प्रकट की। फ्रेड ने मुझे दोनों नौकरों से भी परिचित कराया।
चूँकि नौकरों के अलावा तीनों व्यक्ति ही कहीं न कहीं पहुँच रखने वाले और कद्दावर थे ,इसलिए मैंने सबसे पहले दोनों नौकरों से पूछताछ करने की सोची।
मैंने लिली डीआस से पूछा – “क्या आप फ्रेड को दिए हुए स्टेटमेंट को दोहराएंगी?”
लिली ने सूखते होठों पर जुबान फिराते हुए चारों तरफ देखा और बोली –“हाँ! क्यूँ नहीं। जब रात को इन्द्रेश सर और उनके मेहमानों ने खाना खा लिया तो मैंने डाइनिंग टेबल को साफ़ किया और जो खाना बचा था, उसको रेफ्रीजरेटर में रखने में टोनी का मदद भी किया। लगभग रात 11 बजे मैं अपने रूप में पहुँच गयी थी। फ्रेश होने के बाद मैं बिस्तर में घुस गयी और एक नावेल पढने लगी थी। मुझे लगभग एक बजे तक बात-चीत और ठहाकों की आवाज़ सुनाई देती रही उसके बाद मैं सो गयी। सुबह-सुबह, मुझे रागिनी मैडम की चीख सुनाई दी तो मैं दौड़ती हुई नीचे की तरफ भागी। मेरे साथ इन्द्रेश सर के दोनों दोस्त और टोनी भी नीचे दौड़ते हुए आ रहे थे। कमरे में पहुँचने पर मैंने इन्द्रेश सर को खिड़की के साथ वाले सोफे के सामने मरा हुआ पाया। बाद में, जब इंस्पेक्टर ने बॉडी को उलटा किया तो मैंने देखा कि उनके सिर पर गोली मारी गयी थी। मैंने गोली चलने की आवाज़ नहीं सुनी थी, इसलिए मुझे लगता है कि जिसने भी ये किया उसने मफलर का यूज़ किया होगा। बस साहेब, इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानती हूँ।”
मैंने टोनी से पूछा – “ हाँ, भाई तुम बताओ, तुम क्या कहते हो इस घटना के बारे में?”
टोनी बोला – “ साहब, मैंने इंस्पेक्टर साहब को भी कहा था कि मैंने कुछ नहीं किया। साहब, मैं 8 सालों से इस विला में खाना बनाता है। इन्द्रेश साहब को मैं भगवान् मानता है। मैं कुछ नहीं किया साहब।”
मैंने टोनी की बातों को समझते हुए बोला – “अरे, डरो नहीं! अगर तुमने कुछ नहीं किया होगा तो तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा। तुम अपना बयान दोहराओ जो इंस्पेक्टर को दे चुके हो?”
टोनी ने अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए कहा – “साहब, जैसा कि लिली बताई,जब वो डाइनिंग रूम और टेबल साफ कर रही थी, उस वक़्त मैं किचन की सफाई कर रहा था। उसके बाद मैंने और लिली ने मिलकर बचा हुआ खाना फ्रिज में स्टोर करने के लिए डाल दिया। थोड़ी देर तक मैंने लिली से कुछ बातें की फिर लगभग उसी वक़्त अपने कमरे में घुसा जब लिली अपने कमरे में घुसी। मुझे नहा-धोकर सोने की आदत है , इसलिए मुझे नहाने-धोने में लगभग साढ़े ग्यारह बज गया और उसके बाद मैं बेड पर जाकर सो गया। सुबह-सुबह एक चीख से मेरी नींद खुली, मैं नीचे की तरफ भागा तो इन्द्रेश सर के कमरे में उनके लाश को पाया।”
मैंने दोनों के बयान सुन लिए लेकिन कोई ऐसा क्लू नहीं मिला जिससे अपराधी तक पहुँच बना पाता। मैंने फ्रेड के दिए पेपर पर नज़र दौड़ाई और रागिनी कसाना की तरफ मुड़ा – “रागिनी मैडम, अगर आपको ऐतराज़ न हो तो आप भी अपना बयान दोहरा दीजिये।”
रागिनी बोली –“ मिस्टर शुक्ला, जब मैं अपना बयान पहले ही दे चुकी हूँ तो आपको वही बयान दुबारा क्यूँ सुनना है?”
“रागिनी जी, कभी-कभी बयान देने वाला कुछ बातों को पहली बार बयान देते समय नज़रंदाज़ कर देता है या बयान लिखने वाला पुलिसवाला उसे नज़रअंदाज़ कर देता है और कभी-कभी ऐसी छोटी बातें ही केस को हल करने में मदद करती हैं।”
“ह्म्म्म.. ठीक है! मिस्टर शुक्ला, मैं बयान दोहराती हूँ। लगभग 12-1 बजे तक मैं चाचा जी और उनके दोस्तों के साथ थी। हम सभी बातें कर रहे थे, एन्जॉय कर रहे थे। लगभग सवा एक पर मैं सो गयी थी। सुबह सवा छः पर मुझे प्यास लगी तो पानी की बोतल को अपने करीब नहीं पाया । मुझे लिली पर गुस्सा भी आया कि उसने पानी की बोतल मेरे रूम में क्यूँ नहीं रखा। मैं उठी और पानी लेने के लिए नीचे किचन में पहुंची। मैं जब वापिस आ रही थी तो चाचा जी के कमरे का दरवाजा खुला था और कमरे में लाइट भी जल रही थी। मेरी खुले दरवाजे से खिड़की की ओर नज़र गयी, जिससे बहुत ही सुन्दर सूर्योदय का नज़ारा दिखाई दे रहा था। मैं अन्दर घुसी तो चाचा जी को खिड़की के सामने मरे हुए पाया। खून की धार एक तरफ को बहती हुई साफ़ नज़र आ रही थी। मैं चिल्लाई तो, विला में मौजूद दोनों मेहमान और नौकर आ गए। उसके बाद पुलिस को फ़ोन करके घटना की खबर मैंने खुद पहुंचाई थी।”
मैं जैसन डीसिल्वा की तरफ मुड़ा तो उसने मेरे सवाल पूछे जाने से पहले ही जवाब दिया – “ए.सी.पी. शुक्ला, जैसा कि रागिनी ने कहा मैं, इन्द्रेश, रागिनी और खान साहब चारों लगभग 1 बजे तक एन्जॉय करते रहे थे। कई विषयों पर बाते हो रही थी। उसके बाद हम सोने के लिए अपने-अपने कमरे में चले गए थे। हमारी नींद तभी खुली जब नीचे से रागिनी के चीखने चिल्लाने की आवाज़ आई। नीचे पहुंचे तो पाया कि इन्द्रेश औंधे मुह फर्श पर लेटा हुआ है। साफ़-साफ़ महसूस हो रहा था की वह मृत था।
मैंने रईस खान से पूछा – “क्या जैसन साहब सही कह रहे हैं?”
रईस खान ने जवाब दिया – “सोने से पहले की सभी बातें ठीक हैं। हम सभी ने लगभग एक बजे तक एन्जॉय किया और उसके बाद अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले गए। सुबह जब रागिनी की आवाज़ सुनी तो हम नीचे पहुंचे जहाँ इन्द्रेश को मृत पाया।”
मैं पाँचों व्यक्तियों के बयान ले चुका था,लेकिन किसी बयान से मुझे ऐसी कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी थी , जिससे यह पता लग सके कि इनमे से ही कोई अपराधी है। मैंने फ्रेड से कहा – “फ्रेड, इनके बयान से तो हमें कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी है। लगता है कि किसी और एंगल पर विचार करना पड़ेगा।”
फ्रेड बोला – “नहीं सर, मुझे पता चल गया है की इन पाँचों में से कौन कातिल है, इसलिए हमें दुसरे एंगल पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।”
पाँचों सस्पेक्टस और मैंने, चौंकते हुए फ्रेड को देखा और पाँचों एक दुसरे की तरफ इस तरह देखने लगे जैसे कि उनके अलावा चारों कातिल हों।
To be continued……