सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कई उपन्यासों पर ध्यान दिया जाए तो उससे हमें यह पता चलता है की किसी अमुक और अजनबी लाल रंग के धब्बे का जब परिक्षण किया जाता है तो उससे सिर्फ ब्लड ग्रुप के बारे में जानकारी मिलती है जिसके आधार पर सस्पेक्टस को धीरे-धीरे एलिमिनेट किया जाता है। […]
आरा में बड़ी धूमधाम से रामलीला हो रही है। आज नवमी को मेघनाथ वध होगा, बड़ी भीड़ है। शहर भर के लोग टूट पड़े हैं। चार बजे का समय है। भीड़ ‘राजा रामचन्द्र की जय’ शब्द से आकाश गुँजा रही है। इतने में खबर आई कि नहर के किनारे चार लाशें पड़ी हुई हैं। यह […]
क्राइम इन्वेस्टीगेशन में एविडेंस का महत्वपूर्ण योगदान है। एविडेंस एक ऐसी चीज है जिसके आधार पर न्यायलय किसी केस के लिए निर्णय लेती है। ऐसे एविडेंस कोर्ट के सामने इसलिए पेश किये जाते हैं ताकि वादी एवं प्रतिवादी पक्ष के बीच या दो पार्टी के बीच में बने विवाद के बिंदु को स्थापित किया जाए […]
अध्याय 22 : पार्वती और गूजरी सबेरे ससुर-दामाद के आरे जाने पर एक काली युवती मुंशी हरप्रकाशलाल के दरवाजे पर आई। ड्योढ़ीदार ने पूछा – “क्या चाहती है?” युवती ने हँसकर कहा – “भीतर जाना चाहती हूँ।” एक देहाती स्त्री के मुँह से ऐसी हिन्दी सुनकर ड्योढ़ीदार ने कुछ आश्चर्य के साथ उसके मुँह की […]
फॉरेंसिक साइंस ने आज जो तरक्की की है, आज जिस मुकाम पर फॉरेंसिक साइंस पहुँच चूका है उस तक पहुँचने के लिए 3-४ शताब्दियों का सहारा लिया है। आधुनिक युग के फॉरेंसिक साइंस हमारे लिए बहुत उपयोगी तो है लेकिन इसके पीछे लगी कितने ही वैज्ञानिक, डॉक्टर्स, पेथालोजिस्ट और केमिस्ट की मेहनत को हम लगभग […]
अध्याय 21 : चोर के भाग जाने पर बुद्धि चलती है आधीरात हो गयी है, चारो ओर सन्नाटा है। मकान के बाहर तीनबार “सियाराम” की आवाज़ हुई। भोला उठ बैठा और मन ही मन बोला – यही मौका है। देखा, पुजारी की नाक बज रही है। भोला ने अपनी झोली सहित बाहर निकलकर दरवाज़े की […]
हम आने वाले लेखों में आपको कुछ ऐसी आवशयक और विशेष जानकारी के बारे में बताएँगे जिसके जरिये यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है – वह अपराध जिसके दौरान किसी इंसान की मृत्यु हुई, वह हत्या थी या आत्महत्या। हम आपको हथियार, उनके प्रयोग और हथियार के चयन से व्यक्ति के बारे में निष्कर्ष निकालने […]
सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के द्वारा लिखे गए लगभग सभी उपन्यास, क्राइम-फिक्शन श्रेणी के अन्दर आते हैं। चूंकि वो क्राइम-फिक्शन लिखते हैं तो उसमे क्राइम होना तो आम बात है। जब क्राइम हो कहानी में तो खून के धब्बे और उसकी धार दिखना भी साधारण सी बात है। कई बार ऐसा होता है कि […]
अध्याय 20 : मुंशी जी की बैठक चूनाकली कराई हुई बैठक में चारपाई और जाजिम बिछा है। जाजिम के ऊपर कई तकिये, एक ढोलक और एक सितार रक्खे हुए हैं और ऊपर हँड़िया ग्लास में मोमबत्ती जल रही है। वहाँ मुंशी हरप्रकाश लाल, उनके बहनोई हरिहर प्रसाद, लक्ष्मी प्रसाद और पुजारी पाँडे जी मन लगाकर […]