अध्याय 19 : मोदी की दुकान सरेंजा के पास पहुँचकर डाकू एक मोदी की दुकान में जा रुके। उन्होंने देखा कि मोदी कुटकी, तिलवा, चावल, दाल, सत्तू आदि चीजों से भरी हाँडी पतुकी चंगेली के बीच में गम्भीर भाव से बैठा है। और एक दूसरा आदमी उसके पास खड़ा होकर गाँजे का दम लगाते हुए […]
अध्याय 17. भोला और गूजरी हीरासिंह के मकान में बड़ी धूम-धाम से नवरात्र की सप्तमी पूजा हो गयी। उन्होंने उसी दिन ब्राहमणों को खिलाया।”हीरा सिंह बड़े पुण्यात्मा हैं।” “हीरासिंह दूसरे कर्ण हैं” हीरासिंह का नाम पृथ्वी पर अमर हो” आदि कहते हुए दल के दल ब्राहमण दक्षिणा ले-लेकर विदा होने लगे और कंगालों के शोरगुल […]
अध्याय 16 : मुंशी जी की बैठक मुंशीजी बैठक में आकर एक कुर्सी पर बैठ गये। खवास सामने अलबेला रख गया था। मुंशीजी ने तमाखू पीते-पीते कहा-“बाहर जो लोग शोरगुल मचा रहे हैं उनको यहाँ बुलाओ।” दरोगा, जमादार और लट्ठ लिये कई चौकीदार बैठक में आये। उनके साथ हमलोगों का पुराना परिचित अबिलाख बिन्द भी […]
सस्पेंस के लिए चार जरूरी कारक हैं – पाठकों की सहानुभूति, पाठकों की चिंता, करीब से करीबतर खतरे और बढ़ता तनाव। पाठकों की सहानुभूति हासिल करने के लिए किरदार को महत्वाकांक्षा, इच्छा, घाव, आंतरिक संघर्ष आदि भावों का गहना पहना सकते हैं, जिससे पाठक उनके साथ जुड़ाव महसूस करे। जितना अधिक पाठक और किरदार के […]
कोन्फ्लिक्ट (टकराव/संघर्ष) एक क्राइम उपन्यास या कहानी में ‘सस्पेंस’ का होना बहुत जरूरी होता है। इसे आप अपराध गल्प कथाओं का प्रमुख तत्व भी कह सकते हैं। नए लेखकों के लिए ‘अपराध गल्प कथा’ में सस्पेन्स डालना उतना आसान नही रहता है, हालांकि उनकी कोशिश पुरजोर रहती है