प्रयाग-विश्वविद्यालय के अंडरग्रेजुएट के लिये डाक्टरी या वकालत के सदृश समय और धन-सापेक्ष व्यवसायों के सिवा नौकरी में नायब तहसीलदारी वा सब-रजिस्ट्रारी के पद ही अधिक आकर्षण रखते हैं; पर उनकी प्राप्ति के लिये विद्या से बढ़कर सिफारिश की जरूरत है। पिता के मित्र सूबेदार नन्हेसिंह से जब मैं मिला, तब उन्होंने दुःख प्रकाश करते […]
बयान – 6 इश्क भी क्या बुरी बला है! हाय, इस दुष्ट ने जिसका पीछा किया उसे खराब करके छोड़ दिया और उसके लिए दुनिया भर के अच्छे पदार्थ बेकाम और बुरे बना दिये। छिटकी हुई चांदनी उसके बदन में चिनगारियां पैदा करती है, शाम की ठंडी हवा उसे लू-सी लगती है, खुशनुमा फूलों को […]
परीक्षा देने के पीछे और उसके फल निकलने के पहले दिन किस बुरी तरह बीतते हैं, यह उन्हीं को मालूम है जिन्हें उन्हें गिनने का अनुभव हुआ है। सुबह उठते ही परीक्षा से आज तक कितने दिन गए, यह गिनते हैं और फिर ‘कहावती आठ हफ्ते’ में कितने दिन घटते हैं, यह गिनते हैं। कभी-कभी […]
बयान – 1 पाठक समझ ही गये होंगे कि रामशिला के सामने फलगू नदी के बीच में भयानक टीले के ऊपर रहने वाले बाबाजी के सामने जो दो औरतें गई थीं वे माधवी और उसकी सखी तिलोत्तमा थीं। बाबाजी ने उन दोनों से वादा किया था कि तुम्हारी बात का जवाब कल देंगे इसलिए दूसरे […]
बयान – 15 आधी रात से ज्यादे जा चुकी है। गयाजी में हर मुहल्ले के चौकीदार ‘जागते रहियो, होशियार रहियो’ कह-कहकर इधर से उधर घूम रहे हैं। रात अंधेरी है, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ है। यहां का मुख्य स्थान विष्णु-पादुका है, उसके चारों तरफ की आबादी बहुत घनी है मगर इस समय हम गुंजान […]
बयान – 11 हम ऊपर के बयान में सुबह का दृश्य लिखकर कह आये हैं कि राजा वीरेंद्रसिंह, कुंअर आनंदसिंह और तेजसिंह सेना सहित किसी तरफ को जा रहे हैं। पाठक तो समझ ही गये होंगे कि इन्होंने जरूर किसी तरफ चढ़ाई की है और बेशक ऐसा ही है भी। राजा वीरेंद्रसिंह ने यकायक माधवी […]
बयान – 6 कुंअर इंद्रजीतसिंह अभी तक उस रमणीक स्थान में विराज रहे हैं। जी कितना ही बेचैन क्यों न हो मगर उन्हें लाचार माधवी के साथ दिन काटना ही पड़ता है। खैर जो होगा देखा जायगा मगर इस समय दो पहर दिन बाकी रहने पर भी कुंअर इंद्रजीतसिंह कमरे के अंदर सुनहले पावों की […]
दूसरा भाग बयान-1 घंटा भर दिन बाकी है। किशोरी अपने उसी बाग में जिसका कुछ हाल पीछे लिख चुके हैं कमरे की छत पर सात-आठ सखियों के बीच में उदास तकिए के सहारे बैठी आसमान की तरफ देख रही है। सुगंधित हवा के झोंके उसे खुश किया चाहते हैं मगर वह अपनी धुन में ऐसी […]
बयान – 11 सूर्य भगवान अस्त होने के लिए जल्दी कर रहे हैं, शाम की ठंडी हवा अपनी चाल दिखा रही है। आसमान साफ है क्योंकि अभी-अभी पानी बरस चुका है और पछुआ हवा ने रुई के पहल की तरह जमे हुए बादलों को तूम-तूमकर उड़ा दिया है। अस्त होते हुए सूर्य की लालिमा ने […]