दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति अजेय अपार अंध कक्षा में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान जला ज्ञान का दीप सिर्फ़ फैलाओगे उजियाली अथवा उठा कृपाण करोगे घर की भी रखवाली कलम देश की बड़ी शक्ति […]
आज महादेवी के जन्मदिन पर…… चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प हो ले! या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले; आज पी आलोक को डोले तिमिर की घोर छाया जागकर विद्युत शिखाओं में निठुर तूफान बोले! पर तुझे […]
चित्रसेन चितउर गढ राजा । कै गढ कोट चित्र सम साजा ॥ तेहि कुल रतनसेन उजियारा । धनि जननी जनमा अस बारा ॥ पंडित गुनि सामुद्रिक देखा । देखि रूप औ लखन बिसेखा ॥ रतनसेन यह कुल-निरमरा । रतन-जोति मन माथे परा ॥ पदुम पदारथ लिखी सो जोरी । चाँद सुरुज जस होइ अँजोरी ॥ […]
जब-तब नींद उचट जाती है पर क्या नींद उचट जाने से रात किसी की कट जाती है? देख-देख दु:स्वप्न भयंकर, चौंक-चौंक उठता हूँ डरकर; पर भीतर के दु:स्वप्नों से अधिक भयावह है तम बाहर! आती नहीं उषा, बस केवल आने की आहट आती है! देख अँधेरा नयन दूखते, दुश्चिंता में प्राण सूखते! सन्नाटा गहरा हो […]
जो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अम्बर के आनन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अम्बर शोक मनाता है जो बीत गई सो […]
खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी पानी में। खड़े रहो तुम अविचल हो कर सब संकट तूफानी में। डिगो ना अपने प्राण से, तो तुम सब कुछ पा सकते हो प्यारे, तुम भी ऊँचे उठ सकते हो, छू सकते हो नभ के तारे। अचल रहा जो अपने पथ पर लाख मुसीबत आने में, […]
तुम आयी जैसे छीमियों में धीरे- धीरे आता है रस जैसे चलते-चलते एड़ी में कांटा जाए धंस तुम दिखी जैसे कोई बच्चा सुन रहा हो कहानी तुम हंसी जैसे तट पर बजता हो पानी तुम हिली जैसे हिलती है पत्ती जैसे लालटेन के शीशे में कांपती हो बत्ती तुमने छुआ जैसे धूप में धीरे-धीरे उड़ता […]