ऊनविंश पर जो प्रथम चरण तेरा वह जीवन-सिन्धु-तरण; तनये, ली कर दृक्पात तरुण जनक से जन्म की विदा अरुण! गीते मेरी, तज रूप-नाम वर लिया अमर शाश्वत विराम पूरे कर शुचितर सपर्याय जीवन के अष्टादशाध्याय, चढ़ मृत्यु-तरणि पर तूर्ण-चरण कह – “पित:, पूर्ण आलोक-वरण करती हूँ मैं, यह नहीं मरण, ‘सरोज’ का ज्योति:शरण – तरण!” अशब्द अधरों का सुना […]
आ गए प्रियंवद! केशकंबली! गुफा-गेह! राजा ने आसन दिया। कहा : ‘कृतकृत्य हुआ मैं तात! पधारे आप। भरोसा है अब मुझ को साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी!‘ लघु संकेत समझ राजा का गण दौड़े। लाये असाध्य वीणा, साधक के आगे रख उस को, हट गए। सभी की उत्सुक आँखें एक बार वीणा को […]
राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत-भाग्य-विधाता है फटा सुथन्ना पहने जिसका गुन हरचरना गाता है। मखमल टमटम बल्लम तुरही पगड़ी छत्र चँवर के साथ तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर जय-जय कौन कराता है। पूरब-पच्छिम से आते हैं नंगे-बूचे नरकंकाल सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है। कौन-कौन है वह जन-गण-मन- अधिनायक वह महाबली डरा हुआ […]
मौन रात इस भांति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर, अभी-अभी सोई खोई-सी, सपनों में तारों पर सिर धर और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं, कान तुम्हारे तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता? तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आने वाले, पर ऐसे ही वक्त […]
रात आधी खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने। फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में और चारों ओर दुनिया सो रही थी। तारिकाऐं ही गगन की जानती हैं जो दशा दिल की हमारे हो रही थी। मैं तुम्हारे पास होकर दूर तुमसे अधजगा सा और अधसोया हुआ सा। रात आधी खींच […]
(मशहूर पाकिस्तानी ग़ज़ल गायिका इक़बाल बानो का पिछले दिनों देहांत हो गया।याह्या खाँ के शासन के विरोध में उनके द्वारा गायी गयी यह नज़्म फैज़ ने लिखी थी।) लाज़िम है कि हम भी देखेंगे हम देखेंगे ……. वो दिन कि जिसका वादा है जो लौह-ए-अजल में लिखा है हम देखेंगे ……. जब जुल्म ए सितम […]