बात करीब दस बारह साल पहले की है, जब गोपाल होली की छुट्टियों में अपने पुस्तैनी घर आया था। उसके जन्म से पहले ही उसके पिता प्रभुनाथ सीआरपीएफ़ में कंपनी कमांडर हो गए थे। साल में एकाध बार ही घर आ पाते। बनारस कचहरी से लगभग दो फ़र्लांग बढ़ते ही गाजीपुर रोड पर सय्यद बाबा […]
फूलचंद ठेकेदार दोपहर का भोजन करके सोने के बाद उठे, घड़ी की तरफ देखा. साढ़े तीन बजने वाले थे. उन्होंने जल्दी से चेहरा धोया और सुँघनी मंजन करते हुए घर से बाहर चबूतरे पर आए. मंजन करते हुए जब दाईं तरफ नज़र गई तो देखा स्कूटर नहीं था. थोड़ी देर में उनको […]
बनारस शहर के दक्षिणी हिस्से में लंका से सामनेघाट होते हुए गंगा नदी के ऊपर बने पीपे के पुल वाले रास्ते में ही शिवधनी सरदार का घर था। खाते पीते परिवार के स्वामी थे । स्वयं विश्वविद्यालय में तृतीय श्रेणी कर्मचारी थे । एक बांस बल्ली की दुकान थी, जहां निर्माणाधीन मकानों के लिए किराए […]
कोतवाल रामलखन सिंह अपने कमरे में कुछ उदासी भरी सोच की मुद्रा में बैठे थे. उन्होंने सपने में भी न सोचा था कि जरा से बवाल से कप्तान उन्हें लाइन हाजिर कर देगा. ऐसा भी नहीं था कि वे पहले निलंबित या लाइन हाजिर नहीं हुए थे. कई बार तो उन्होंने सिर्फ कोतवाल बने रहने […]
बाज़ार रोज़ से ज्यादा गर्म था। जिस तरफ देखो रौनक थी। डेनियल यूँ तो हर साल इंडिया आता था पर ऐसे नज़ारे उसे यहाँ कम ही देखने को मिलते थे। वो छः फिट से निकलते कद का, कोई 50 की उम्र का होते हुए भी 35 से ऊपर न लगता था। ऐसा था मानों टॉम […]