पुलिस प्रशासन एवं डिटेक्टिव्स एक क्राइम फिक्शन कहानी के लिए क्या-क्या चीजें चाहिये – अपराध, अपराधी, मकतूल, डिटेक्टिव या पुलिस ऑफिसर। ब्रिटेन और अमेरिका के शुरुआती दौर (18 वीं शताब्दी) के क्राइम-फिक्शन कहानियों में पुलिस और डिटेक्टिव्स का कहीं भी इस्तेमाल होता नही दिखाया जाता है। 19वीं सदी के आरंभ तक भी,
#amwriting लेखन के विधा में वैसे तो कुछ भी स्टेटिक नहीं है, नियम बनते एवं बदलते रहते हैं। कई लेखक अपने नियम बनाते हैं तो कई दूसरों के नियमों को फॉलो करते हैं। फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं, कुछ ऐसी गलतियाँ हैं,
‘द न्यूगेट कैलेंडर’ के ब्योरे से लेखन तक जहां विश्व पटल पर शरलॉक होल्म्स किरदार ने विश्व-विख्यात ख्याति पायी, वहीं ‘द न्यूगेट कैलेंडर’ को दुनिया ने भुला दिया। सबसे ज्यादा रुचिकर यह है कि इसका नाम ‘द न्यूगेट कैलेंडर’ ही क्यूं पड़ा – एक्चुअली लंदन में उस जेल का नाम ‘न्यूगेट प्रिजन’ था, जहां
‘शो, डोंट टेल’ अंतराष्ट्रीय स्तर पर ‘शो, डोंट टेल’ एक टूल के रूप में लेखकों का पसंदीदा टूल बन चुका है। आप इस टूल के बारे में बात करते हुए कई लेखकों को पढ़ एवं सुन सकते हैं। वैसे यह जानना रुचिकर होगा,
शरलॉक होल्म्स एवं ‘द न्यूगेट कैलेंडर’ विश्व के पटल पर जब भी क्राइम फिक्शन का नाम लिया जाता है तो वह जाने या अनजाने, परोक्ष य्य अपरोक्ष में, सर आर्थर कॉनन डायल के प्रसिद्ध किरदार ‘शरलॉक होल्म्स’ से जरूर जुड़ा होता है। ‘शरलॉक होल्म्स’ एक ऐसा किरदार है, जिसे लोग भुलाए नही भुलाते, डिटेक्शन की […]
लेखन में परफेक्शन परफेक्शन अर्थात पूर्णता, सिद्धि एवं प्रवीणता, आज के समय की जरूरत बन गयी है। हर चीज में परफेक्शन लाजमी होती जा रही है। आप जिस मशीन पर काम करते हैं, उसने परफेक्ट काम करना जरूरी है – आपका बॉस हमेशा आपसे परफेक्ट की उम्मीद लगाये बैठता है – आप भी किन्हीं अदाकारों, […]
लेखकों के लिए, लेखन से लिया गया एक लंबा ब्रेक, उसके लिए एक श्राप के समान होता है। कभी-कभी ये ब्रेक जानबूझ कर लिए जाते हैं तो कभी स्थिति ऐसी बन आती है कि स्वतः ही ब्रेक लग जाता है। आपने अपने रोज लिखने की आदत से खुद को तोड़ लिया है या आप महीनों-हफ्तों […]