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3 Comments

  1. ravikumarswarnkar
    May 23, 2009 @ 7:29 pm

    अच्छी गंभीर शुरूआत है…
    महत्वपूर्ण कार्य….अभी उम्मीद कायम है…

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  2. abhishek kumar
    January 4, 2018 @ 7:51 am

    ब्लॉग पर अभी पढ़ी।बहुत अच्छा लगा पढ़कर पर गुरूजी थोड़े में ही निपटा दिए?।खैर सही भी है,जहाँ लोग नॉवेल तक नहीं पढ़ पाते सही से वहां एक विमर्श पढ़ना संदेहास्पद है।तीन पारा में ही पूरा निचोड़ डालने की पूरी कोशिश की है।गुरूजी को साधुवाद।

    Reply

  3. chandan kumar
    January 11, 2018 @ 1:30 pm

    बहुत जल्द खत्म कर दिया , गुरूजी

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